पापा कब आएंगे...पुलवामा में शहीद होने के एक साल बाद भी बेटा पूछता है तो मां कहती है, भगवान के पास गए हैं
नई दिल्ली. पुलवामा अटैक के एक साल पूरे हो चुके हैं। हमले में सीआरपीएफ के 45 जवान शहीद हो गए थे। इन शहीदों में एक नाम वीरेंद्र सिंह राणा का भी था। आज भी उनकी पत्नी रेनू राणा से बच्चे पूछते हैं कि पापा कब आएंगे। तब रेनू बोलती हैं कि पापा भगवान के पास गए हैं। भगवान जब भेजेंगे तब वे आएंगे। 14 फरवरी 2019 को जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ, जिसमें 45 जवान शहीद हो गए थे।
Asianet News Hindi | Published : Feb 14, 2020 9:59 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:21 PM IST
बेटा नर्सरी और बेटी यूकेजी में है : रेनू को उत्तराखंड सरकार से 25 लाख रुपए की मदद मिली। इसके साथ ही सीआरपीएफ से पेंशन मिल रही है। उनका बेटा बियान नर्सरी और बेटी रूही यूकेजी में पढ़ रही है। वह दो महीने से तहसील के सरकारी आवास में बच्चों के साथ रह रही हैं।
'वीरेंद्र ने कहा था, रास्ते में हूं, अब पुलवामा पहुंचकर फोन करूंगा' : रेनू कहती हैं कि आखिरी बार जब वीरेंद्र से बात हुई थी तब उन्होंने कहा था, रास्ते में हूं और अब पुलवामा पहुंचकर फोन करूंगा।
वीरेंद्र के पिता को भी बेटे की शहादत पर गर्व है। उन्होंने कहा, हम महाराणा प्रताप के वंशज हैं। रगों में देशभक्ति दौड़ती है। बेटे ने देश के लिए शहादत दी है। वीरेंद्र पर गर्व है। यह बोलते-बोलते 82 साल के बुजुर्ग पिता की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
20 दिन की छुट्टी के बाद ड्यूटी पर जा रहे थे वीरेंद्र : वीरेंद्र मोहम्मदपुर के रहने वाले थे। इनके बड़े भाई बीएसएफ में हैं। वीरेंद्र ने 12 फरवरी 2019 की शाम 20 दिन की छुट्टी के बाद जम्मू के लिए निकले थे।
78 गाड़ियों में सवार थे 2500 जवान : 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ का काफिला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था। सीआरपीएफ के लगभग 2,500 जवान 78 गाड़ियों में सवार थे। इसमें ज्यादातर जवान वे थे, जो छुट्टी से वापस ड्यूटी पर लौटे थे।
3.15 बजे हुआ था विस्फोट : काफिला जब जम्मू-कश्मीर हाईवे पर अवंतिपोरा इलाके में पहुंचा तो लगभग 3.15 बजे 100 किलो विस्फोटक से भरी कार काफिले में शामिल एक बस से जा टकराई, जिससे जोरदार धमाका हुआ। इस धमाके से बस पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। बस में सवार जवान शहीद हो गए।