उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना ने सबको चौंका दिया है। खासकर, पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है कि कैसे ग्लेशियरों कों पिघलने से बचाया जा सका। यह तो आपको पता ही होगा कि बर्फ के नीचे चीजें सड़ती नहीं हैं। जीवाणु-विषाणु तो सदियों तक जिंदा दफन बने रहते हैं। अगर ये वायरस ग्लेशियर पिघलने से नदियों में मिल गए, तो दुनिया में भारी तबाही आ सकती है। यह चेतावनी लगातार वैज्ञानिक देते रहते हैं। ऐसा ही एक खुलासा 2019 मे सामने आया था। अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम तिब्बत में यह जानने पहुंची थी कि आखिर ग्लेशियर के नीचे क्या हो सकता है? जब पता चला, तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। ग्लेशियर के नीचे 15000 साल पुराने 28 प्रकार के वायरस जिंदा दफन थे, जो अगर बाहर आ जाएं, तो दुनिया में भयंकर बीमारियां फैला दें।