किसी ने आतंकियों से बचाई परिवार की जान तो कोई बहन के लिए हाथियों से भिड़ा, ऐसे हैं देश के बहादुर बच्चे

नई दिल्ली. 2019 में अपनी बहादुरी से लोगों की जान बचाने वाले 22 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। इन लड़कों में 10 लड़कियां और 12 लड़के शामिल हैं। इनमें से एक बच्चे को मरणोपरांत अभिमन्यू पुरस्कार से भी नवाजा जाएगा। ये सभी बच्चे देश के 12 अलग-अलग राज्यों से हैं। इन बच्चों में जम्मू -कश्मीर को दो लड़के भी शामिल हैं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2020 2:34 PM IST
110
किसी ने आतंकियों से बचाई परिवार की जान तो कोई बहन के लिए हाथियों से भिड़ा, ऐसे हैं देश के बहादुर बच्चे
केरल के रहने वाले आदित्य ने पर्यटकों से भरी एक बस में आग लगने के बाद बस का शीशा तोड़कर 40 लोगों की जान बचाई थी। आग लगने के बाद बस का ड्राइवर मौके से भाग गया था, पर आदित्य ने बहादुरी दिखाते हुए सबकी जान बचाई। उन्हें भारत पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
210
मोहम्मद मुहसिन केरल के रहने वाले थे। उन्होंने अपने तीन दोस्तों को समुद्र में डूबने से बचाया था। इस कोशिश में हालांकि वो खुद समुद्र में डूब गए थे और उनकी मौत हो गई थी। उनका शव अगले दिन निकाला गया था। इन्हें मरणोपरांत अभिमन्यु अवॉर्ड से नवाजा जाएगा।
310
उत्तराखंड की राखी ने अपने चार साल के भाई की जान बचाने के लिए तेंदुए का सामना किया था। इस घटना में वो बुरी तरह से घायल हो गई थी। उन्हें दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया गया था।
410
कर्नाटक के वेंकटेश ने बाढ़ के समय गजब का जज्बा दिखाया था। वेंकटेश ने एक एम्बुलेंस को रास्ता दिखाने के लिए पानी की धार के बीच जाकर अपनी जान भी दांव पर लगा थी। इस एन्बुलेंस में 6 बच्चे और एक महिला का शव रखा हुआ था।
510
बालाकोट में सेना का हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद मुदासिर अशरफ ने अपनी जान की चिंता किए बजाय आग में फंसे हुए एक युवक की मदद की थी। उसने गांव को बाकी लोगों को भी मदद के लिए प्रेरित किया था। जबकि गांव के कई लोग इसका विरोध कर रहे थे।
610
पाकिस्तान की गोलीबारी के दौरान कुपवाड़ा के सरताज के घर में भी एक गोला आकर फटा। सरताज ने अपनी जान बचाने के लिए पहली मंजिल से छलांग लगा दी। इससे उसके पैर में चोट आ गई। तभी उसे याद आया कि उसका परिवार घर के अंदर ही फंसा है। घायल सरताज वापिस लौटा और अपने पूरे परिवार को घर से बहार ले आया। इसके बाद ही उसका पूरा घर मलबे में तब्दील हो गया।
710
अलाइका अपने परिवार के साथ जन्मदिन मनाने जा रही थी। पालमपुर के पास उसकी गाड़ी खाई से नीचे गिरने लगी और पेड़ के तने से लटक गई। इसके बाद अलाइका सबसे पहले होश में आई और लोगों को मदद के लिए बुलाया।
810
सौम्यदीप ने आतंकी हमले के दौरान अपनी मां और बहन की जान बचाई थी। इस दौरान उन्हें कई गोलियां लगी थी। घटना के बाद 6 महीने तक उन्हें अस्पताल पर भी रहना पड़ा। सौम्यदीप अभी भी व्हीलचेयर पर हैं। उन्हें वाल शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया।
910
छत्तीसगढ़ की रहने वाली कांति पैकरा ने अपनी बहन को हाथियों को चंगुल से बचाया था। सरगुजा की रहनेवाली इस लड़की ने अपनी छोटी बहन के लिए खुद की जान जोखिम में डाल दी थी।
1010
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में रहने वाली भामेश्वरी निर्मलकर ने दो बच्चों को गांव के तालाब में डूबने से बचाया था। भामेश्वरी खुद 12 साल की हैं, पर अपनी जान की परवाह किए बिना यह मदद की थी।
Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos