Published : Feb 29, 2020, 01:35 PM ISTUpdated : Feb 29, 2020, 01:36 PM IST
नई दिल्ली. दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में फैली हिंसा में अब तक 42 लोगों की मौत हो गई है। इन दंगों में जहां पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ पुलिस अधिकारियों ने अपनी जान को दांव पर लगाकर मिसाल पेश की है। ऐसे ही एक पुलिस अधिकारी नीरज जादौन हैं, जो दिल्ली हिंसा में हीरो बनकर आए, उन्होंने उपद्रवियों से कई परिवारों की जान बचा ली। इतना ही नहीं नीरज ने इस दौरान प्रोटोकॉल का भी ध्यान नहीं रखा।
दरअसल, नीरज 25 फरवरी को दिल्ली उत्तर प्रदेश की सीमा पर पेट्रोलिंग कर रहे थे। उसी वक्त उन्होंने गोली चलने की आवाज सुनी। यह सीमा से सटे करावल नगर की बात थी। यहां 40-50 लोगों की भीड़ गाड़ियों में आग लगाती हुई और पथराव करती हुई आगे बढ़ रही थी।
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भीड़ लगातार पेट्रोल बम घरों पर भी फेंक रही थी। नीरज ने जरूरी फॉर्मेल्टी की परवाह किए बिना बॉर्डर पार कर उपद्रवियों को रोकने का फैसला किया। नियमों के मुताबिक, पुलिस अफसर को सीमा पार करने के लिए परमिशन की जरूरत होती है।
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नीरज ने बीबीसी को बताया, मैंने सीमा पार करने की सोची। मैं अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के बावजूद खतरे की परवाह ना करते हुए अकेले जाने को तैयार था। ये 15 सेकंड मेरे जीवन के सबसे खतरनाक क्षण थे। लेकिन मेरी टीम को धन्यवाद जो मेरे साथ आने को तैयार हुई। जब मैंने अपने सीनियर अधिकारियों को बाद में बताया तो उन्होंने भी मेरा समर्थन किया।
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उन्होंने कहा, हमारा दंगाइयों के सामने जाना खतरे से खाली नहीं था। वे बड़ी संख्या में थे। उनके पास हथियार थे। उन्होंने पुलिस के ऊपर फायरिंग भी की। बावजूद पहले हमने उनसे बातचीत करने की कोशिश की। फिर हमने कहा कि पुलिस भी जवाबी कार्रवाई करेगी।
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इसके बाद पुलिस उन्हें खदेड़ने में कामयाब हो सकी। जादौन और उनके साथ तैनात पुलिसकर्मी तब तक डटे रहे, जब तक दंगाई इलाका छोड़ कर भाग नहीं गए।
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जादौन कहते हैं कि वे कोई हीरों नहीं हैं। बस उन्होंने भारत को खतरे से बचाने की शपथ ली है। बस मैं अपना काम कर रहा था। मैं अपने सामने लोगों को मरते हुए नहीं देख सकता।
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दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में 23, 24 और 25 फरवरी को हिंसा हुई थी। इसमें अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है। 300 से ज्यादा जख्मी हैं। यह हिंसा नागरिकता कानून के समर्थन और विरोध करने वाले गुटों के आमने सामने आने के बाद शुरू हुई।
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हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा कुल 148 केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 630 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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हिंसा में मुख्य रूप से जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, खुरेजी खास, गोकुलपुरी और भजनपुरा सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
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दिल्ली में हुए हिंसा की पुलिस जांच कर रही है। इसके साथ ही दोषियों को भी चिन्हित कर रही है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा ने कहा कि फारेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला दलों को बुलाया गया है और अपराध के दृश्यों का फिर से मुआयना किया जा रहा है।
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पुलिस को आशंका है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे को देखते हुए हिंसा की साजिश रची गई थी। हिंसा वाली जगहों पर कुछ ऐसा सामान भी मिला है, जिससे यह साफ हो रहा है कि हिंसा के लिए उपद्रवियों ने पहले ही तैयारी कर ली थी।