दिल्ली का दर्द: रोते रोते बेहोश हो जाती है मां, पूछती है बस एक सवाल- बेटा जिंदा है या दंगाईयों ने मार डाला
नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली 4 दिन तक जलती रही। बम, बंदूक, पत्थर और धारदार हथियार सब चलाए गए। सरेआम हत्याएं की गई। घर और दुकानों को आग के हवाले किया गया। 40 से ज्यादा मौते हुईं। हालांकि शुक्रवार की शाम से कुछ शांति है। लेकिन इस शांति के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई घरों में मातम पसरा है। हिंसा में कईयों ने अपनों को खो दिया तो कईयों के घर से लोग गायब हैं। तस्वीर लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं कि कहीं हिंसा में उनकी भी तो मौत नहीं हो गई। आपको दर्द और दहशत से भरी ऐसी ही कुछ तस्वीरें दिखाते हैं।
Vikas Kumar | Published : Feb 29, 2020 6:33 AM IST / Updated: Mar 03 2020, 11:14 AM IST
यह मां 4 दिन से अपने लाडले को खोज रही है। कभी कभी लोकनायक अस्पताल तो कभी गुरु तेगबहादुर अस्पताल के चक्कर काट रही है। लेकिन बेटे का कुछ पता नहीं चल पा रहा। समयपुर बादली में रहने वाली जजमा का बेटा 25 फरवरी को घर से काम करने के लिए निकला था लेकिन अभी तक घर नहीं लौटा है। मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वह रोते-रोते बेहोश हो जाती हैं। होश आता है तो बस यही पूछती हैं कि मेरा बेटा जिंदा है या दंगाईयों ने उसे मार डाला।
मोहम्मद फिरोज अपने 13 साल के बेटे मोहम्मद इसराइल की तस्वीर दिखाते हुए। इनका बेटा पांच दिन से गायब है। इन्होंने बेटे को आखिरी बार मुस्तफाबाद मस्जिद के सामने देखा था। अब बेटा कहीं नहीं मिल रहा है तो उसकी तस्वीर लेकर जीटीबी अस्पताल पहुंच गए हैं। इनको डर है कि कहीं दिल्ली हिंसा में इनका बेटा भी न मार दिया गया हो।
गुलशन खातून ने अपने 35 साल के बेटे मुबारक को खो दिया। यह विजय पार्क में रहती हैं। अब बेटे का शव लेने के लिए जीटीबी अस्पताल पहुंची हैं।
27 साल के सुलेमान की दिल्ली हिंसा के दौरान मौत हो गई। यह कारावल नगर के रहने वाले थे। अब इनके परिजन तस्वीर लेकर जीटीबी अस्पताल में शव लेने के लिए पहुंच गए हैं।
मोहम्मद इलियास, अपने बेटे मोहम्मद सोनू की तस्वीर दिखाते हुए। इनका बेटा तीन दिन से गायब है। बेटे को आखिरी बार चांद बाग में देखा था। तस्वीर 28 फरवरी की है।
मोहम्मद इमरान, अपने भाई मोहम्मद फैजान (27 साल) की तस्वीर दिखाते हुए। इनका भाई चार दिनों से सीलमपुर से गायब है। अब यह भाई की तस्वीर लेकर जीटीबी अस्पताल पहुंचे हैं। तस्वीर 28 फरवरी की है।
बिगर सिंह नेगी, इनके रिश्तेदार दिलबर सिंह नेगी (20) की दिल्ली हिंसा में मौत हो गई। अब उनका शव लेने के लिए जीटीबी अस्पताल के बाहर खड़े हैं। तस्वीर 28 फरवरी की है।
जजींमा अपने 22 साल के बेटे मोहम्मद मोहनिस की पासपोर्ट साइज तस्वीर दिखाती हुई। इनका बेटा तीन दिनों से गायब है। उसे आखिरी बार मुस्तफाबाद में देखा था। अब बेटे की तस्वीर लेकर मां जीटीबी अस्पताल पहुंची है। तस्वीर 28 फरवरी की है।
अपने बेटे मोहम्मद सोनू की तस्वीर लेकर खड़े मोहम्मद इलियास। इनका बेटा सोनू तीन दिन से चांद बाग से गायब है। अब मोहम्मद इलियास बेटे की तस्वीर लेकर जीटीबी अस्पताल के शवगृह के बाहर पहुंचे हैं। उन्हें डर है कि कहीं उनका बेटा भी तो इन दंगे का शिकार नहीं बन गया है।
अहमद अली अपने भाई फिरोज अहमद (35) की तस्वीर दिखाते हुए। अहमद अली के भाई चार दिन से गायब हैं। यह कारावल नगर के रहने वाले हैं। हिंसा के बाद भाई का कुछ पता नहीं चला तो उसकी तस्वीर लेकर जीटीबी अस्पताल पहुंच गए।
गुलशन खातून अपने बेटे का शव लेने के लिए जीटीबी अस्पताल के शव गृह के बाहर बैठी हैं। रो-रोकर इनकी आंसू सूख चुके हैं।
जीटीबी अस्पताल के बाहर फूट-फूटकर रोती महिला। दिल्ली हिंसा में इन्होंने भी अपने को खो दिया। अब उसका शव लेने के लिए अस्पताल पहुंची हैं।
जीटीबी अस्पताल के बाहर खड़ी महिला रोते हुए फोन पर किसी से बात कर रही है। दिल्ली हिंसा में इन्होंने भी किसी अपने को खो दिया।
जीटीबी अस्पताल के सामने रोती महिला। इन्होंने दिल्ली हिंसा में अपने को खो दिया।
जीटीबी अस्पताल के बाहर रोते-बिलखते परिजन। तस्वीर 28 फरवरी की है।
जीटीबी अस्पताल के शव गृह के सामने रोते-बिलखते परिजन। यह अपनों का शव लेने के लिए इंतजार में बैठे हैं।
जीटीबी अस्पताल के पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर रोते-बिलखते परिजन।
तस्वीर 28 फरवरी की है। जीटीबी अस्पताल के सामने लोग रोते-बिलखते अपनों का शव लेने के इंतजार में खड़े हैं।
जीटीबी अस्पताल की तस्वीर, पोस्टमॉर्टम के बाहर लोग अपनों की पहचान के लिए इंतजार में बैठे हैं।
खजूरी खास में अपने जले हुए घर को देखती महिला। तस्वीर 28 फरवरी की है।
दिल्ली हिंसा के बाद कारावल नगर में अपने जले हुए घर और दुकान को देखता युवक।