न हाथ है न पैर, खुद स्कूटी चलाकर पहुंचते हैं दफ्तर, ऑफिस में करते हैं ये काम

रायपुर. कहते हैं कि इंसान के पास अगर हिम्मत और जुनून हो तो वह कठिन परिस्थितियों में भी अपनी राह आसान कर लेता है। और अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके। ऐसा ही एक अनूठा मिशाल पेश किया है छत्तीसगढ़ के एक होनहार ने जो दिव्यांग होने के बाद भी न सिर्फ ड्यूटी करके पढ़ाई करता हैं बल्कि अपने परिवार की भी देखभाल कर रहा है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 1, 2019 11:33 AM IST

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न हाथ है न पैर, खुद स्कूटी चलाकर पहुंचते हैं दफ्तर, ऑफिस में करते हैं ये काम
बलरामपुर जिले के रहने वाले आशीष को भगवान ने जन्म से ही दोनों हाथ-पैर नहीं दिए हैं। बावजूद इसके आशीष शंकरगढ़ पंचायत कार्यालय में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे हैं।
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बलरामपुर जिले के रहने वाले आशीष को भगवान ने जन्म से ही दोनों हाथ-पैर नहीं दिए हैं। बावजूद इसके आशीष शंकरगढ़ पंचायत कार्यालय में बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे हैं। आशीष का कहना है कि मेरे पास जन्म से ही हाथ और पैर नहीं हैं, लेकिन मैं अपनी शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ नौकरी भी करता हूं।
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इंसान के शरीर का एक अंग न हो तो वह हिम्मत हार जाता है और खुद को असहाय महसूस करने लगता है। लेकिन आशीष के जीवन में ऐसा नहीं है। इतना ही नहीं आशीष स्कूटी भी चलाते हैं और उसी से रोजाना ड्यूटी करने जाते हैं। आशीष पूरे इलाके में चर्चा का विषय बने रहते हैं। लोग हमेशा उनकी तारीफ करते हैं।
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बलरामपुर के कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बताया कि आशीष कई लोगों को प्रेरित करते हैं। वे अपना सारा काम खुद करते हैं। कलेक्टर ने कहा कि मैंने सर्कल ऑफिसर से बात की है की वे आशीष के पिता को भी नौकरी पर रखें।
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