'वतन में छिपे गद्दारों के हाथों मरे श्री रतनलाल...सैल्यूट', कुछ इस तरह शहीद कांस्टेबल को दी गई अंतिम विदाई
नई दिल्ली. नागरिकता कानून को लेकर सोमवार को पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा हुई। जाफराबाद में भजनपुरा और मौजपुर में CAA का समर्थन और विरोध करने वाले दो पक्षों में हिंसक झड़प हुई। प्रदर्शनकारियों ने पथराव और फायरिंग करते हुए पेट्रोल पंप और वाहनों में आग लगा दी। हिंसा में गोकुलपुरी में तैनात हेड कॉन्सटेबल रतन लाल की मौत हो गई। जिसके बाद रतनलाल का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान रत्नलाल के अंतिम यात्रा के दौरान जिस ट्रक से पार्थिव शरीर को लाया गया उस पर गद्दार वाला मैसेज लिखा था।
दिल्ली में सीएए को लेकर भड़की हिंसा में सोमवार को हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई थी। दिल्ली पुलिस रतन लाल का शव लेकर उनके पैतृक गांव पहुंची है। रतन लाल राजस्थान के सिकर के सदिनसर के रहने वाले थे।
दिल्ली पुलिस जिस ट्रक से रतन लाल का शव लेकर सिकर पहुंची, उसके ऊपर गद्दार वाला मैसेज लिखा था। ट्रक पर लिखा था- 'दुश्मनों के बीच से जिंदा आया भारत का लाल, वतन में छिपे गद्दारों के हाथों मरे श्री रतनलाल...सैल्यूट।' ट्रक पर वायुसेना के अधिकारी अभिनंदन और रतन लाल की तस्वीरें भी थीं।
दिल्ली हिंसा में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की गोली लगने से मौत हुई थी। यह खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ है। पहले खबर आई थी कि रतन लाल की मौत पथराव में हुई, लेकिन ऑटोप्सी में साफ हुआ कि उनके शरीर में एक गोली फंसी थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, यह गोली बाएं कंधे से होते हुए दाएं कंधे की ओर गई थी। पोस्टमार्टम के बाद गोली को बाहर निकाल दिया गया है। अब साफ हो गया कि रतन लाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब तक इस मामले में 20 लोगों की मौत हुई है, जिसमें हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल शामिल है।
रतनलाल के तीन बच्चे हैं। उन्हें सोमवार को बुखार था, इसके बावजूद वे ड्यूटी पर गए थे। रतनलाल की पत्नी पूनम को पति की मौत की जानकारी टीवी पर पता चली। शुरुआत में पुलिस की ओर से बताया गया था वे जख्मी हैं। हालांकि, अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया
हेड कॉन्सटेबल रतन लाल राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे। वे 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए। वर्तमान में उनकी तैनाती गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी अनुज के ऑफिस में थी।
जाफराबाद में सोमवार को लगातार दूसरे दिन हिंसा फैली। इससे पहले रविवार को भी CAA का समर्थन और विरोध करने वाले दो पक्षों में झड़प हुई थी। हालांकि, रविवार को भी पथराव हुआ था। वहीं, मंगलवार को भी दिल्ली में हिंसा की आग जलती रही।