मौत से पहले किसी धर्मगुरु से मिलना है, कोई किताब पढ़नी है...निर्भया के दोषियों से पूछी गई आखिरी इच्छा

नई दिल्ली. निर्भया केस के चारों दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी होने वाली है। तिहाड़ जेल प्रशासन बार-बार दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछ रहा है, लेकिन दोषी आखिरी इच्छा नहीं बता रहे हैं। उनमें मौत का डर इस कदर बैठ गया है कि दोषी विनय ने तो 2 दिन से खाना-पीना भी छोड़ दिया है। निर्भया केस में कुल 6 दोषी थे, जिसमें से एक (मुख्य दोषी राम सिंह) ने जेल के अंदर ही आत्महत्या कर ली। एक को नाबालिग होने की वजह से 3 साल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया। अभी चार दोषी मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी की सजा दी गई है। ऐसे में बताते हैं कि आखिरी कैसे 72 घंटे के अंदर दिल्ली पुलिस ने चारों दोषियों को पकड़ लिया था। 
 

 

 

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2020 4:43 AM IST / Updated: Jan 24 2020, 03:42 PM IST

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मौत से पहले किसी धर्मगुरु से मिलना है, कोई किताब पढ़नी है...निर्भया के दोषियों से पूछी गई आखिरी इच्छा
दोषियों से पूछा गया कि अगर उनके नाम कोई प्रॉपर्टी है तो वह उसे किसी के नाम ट्रांसफर करना चाहते हैं तो बता दें। इतना ही नहीं उन्हें इसकी भी सुविधा दी गई कि अगर किसी धर्मगुरु को बुलाना चाहते हैं तो वह भी बता दें।
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दोषियों से यह भी पूछा गया कि अगर मौत से पहले कोई धार्मिक किताब पढ़ना चाहते हैं तो उसके बारे में भी बता दें। उन्हें वह किताब उपलब्ध कराई जाएगी।
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जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस थमाकर उनकी आखिरी इच्छा पूछी। उनसे पूछा गया कि 1 फरवरी को फांसी से पहले वह अपनी अंतिम मुलाकात किससे करना चाहते हैं।
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चारों दोषियों को तिहाड़ के जेल नंबर 3 के अलग-अलग सेल में रखा गया है। हर दोषी के बाहर दो सिक्यॉरिटी गॉर्ड तैनात हैं।
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चारों दोषियों के लिए 32 सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात किए गए हैं। हर दो घंटे में गार्डों को आराम दिया जाता है। शिफ्ट बदलने पर दूसरे गार्ड तैनात किए जाते हैं। हर कैदी के लिए 24 घंटे के लिए आठ-आठ सिक्यॉरिटी गार्ड लगाए गए हैं।
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दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
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