जानें क्या है घटना...
चौरी चौरा की घटना को 100 साल हो गए हैं। इसे शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। केंद्र सरकार ने इसे शताब्दी समारोह के रूप में मनाने का फैसला किया है।
महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार, अंग्रेजी पढ़ाई छोड़ने और चरखा चलाने की अपील की थी। तब देशभर में असयोग आंदोलन चल रहा था। 4 फरवरी, 1922 को चौरी चौरा के भोपा मार्केट में बड़ी संख्या में सत्याग्रही जुटे। वे शांति से मार्च निकाल रहे थे, लेकिन पुलिस ने उसे अवैध घोषित कर रखा था। इसी दौरान एक कांस्टेबल ने गांधी टोपी को अपने पैरों से कुचल दिया। इससे सत्याग्रहियों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने पुलिस चौकी में आग लगा दी।