किसी ने पाक को धूल चटाने में अभिनंदन का दिया साथ तो किसी ने करगिल में दुश्मनों का किया सामना

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महिलाओं को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने को मंजूरी दे दी है। यह हाईकोर्ट के साल 2010 के फैसले पर ही मुहर है। फैसले में केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई गई। कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई, फिर आदेश पर अमल क्यों नहीं हुआ। 2010 में हाईकोर्ट ने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने की बात कही थी। केंद्र ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 9 साल सुनवाई चली। इस दौरान केंद्र सरकार की दलीलों के विरोध में महिला सैनिकों की बहादुरी के किस्से भी सुनाए गए। 
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 17, 2020 3:05 PM IST / Updated: Feb 17 2020, 08:37 PM IST

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किसी ने पाक को धूल चटाने में अभिनंदन का दिया साथ तो किसी ने करगिल में दुश्मनों का किया सामना
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मेजर मिताली मधुमिता का जिक्र किया गया। 26 फरवरी 2010 को काबुल में भारतीय दूतावास पर आतंकी हमला हुआ था। उन्होंने घटनास्थल पर पैदल पहुंचकर घायल लोगों का रेस्क्यू किया। उन्हें अस्पताल पहुंचाया। मधुमिता को 2011 में सेना मेडल से नवाजा गया। वे सेना मेडल पाने वाली पहली महिला आर्मी अफसर थीं।
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फ्लाइट ऑफिसर गुंजन सक्सेना ने करगिल युद्ध के वक्त युद्ध क्षेत्र में चीता हेलिकॉप्टर उड़ाया। वे पहली भारतीय महिला अफसर थीं, जिन्होंने युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरी। उन्होंने युद्ध क्षेत्र में जरूरी सामान पहुंचाने के साथ साथ जख्मी सैनिकों का भी रेस्क्यू किया। इस दौरान गुंजन पर हमले भी किए गए, लेकिन उन्होंने निहत्थे ही सामना किया और जवानों को सुरक्षित निकाला। उन्होंने राष्ट्रपति ने शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया था।
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स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल: स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल पिछले साल बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद चर्चा में आई थीं। दरअसल, मिंटी अग्रवाल वही अफसर थीं, जो पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों के भारत में घुसने के वक्त विंग कमांडर अभिनंदन को गाइड कर रही थीं। अभिनंदन ने पाकिस्तान के आधुनिक एफ 16 विमान को मार गिराया था। मिंटी को 2019 में युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया। वे यह सम्मान पाने वालीं पहली महिला हैं।
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2010 में आर्मी एयर डिफेंस कॉर्प्स में कमीशन होने वालीं दिव्या अजीत कुमार का भी सुप्रीम कोर्ट में जिक्र किया गया। दिव्या ने 21 साल की उम्र में 244 पुरुष और महिला साथियों को पीछे छोड़ बेस्ट ऑलराउंड कैडेट का तमगा हासिल किया था। उन्हें स्वार्ड ऑफ ऑनर सम्मान से नवाजा गया था। उन्होंने 2015 में गणतंत्र दिवस परेड पर सभी महिला टुकड़ियों का नेतृत्व भी किया था।
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10 सितंबर 2017 को भारतीय नौसेना की 6 जांबाज महिला अफसर समुद्र के रास्ते पूरी दुनिया का चक्कर लगाने निकलीं। इस टीम ने 194 दिन में 26 हजार समुद्री मील का सफर तय किया।
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राष्ट्रपति ने टीम में शामिल लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी, लेफ्टिनेंट कमांडर पायल गुप्ता, लेफ्टिनेंट कमांडर पी स्वाति, लेफ्टिनेंट कमांडर विजया देवी, लेफ्टिनेंट कमांडर ऐश्वर्या बोड्डापटी, लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल को नौसेना मेडल से सम्मानित किया।
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