मदद के लिए दूसरों पर निर्भर
प्राजक्ता का कहना है कि लॉकडाउन में आमदनी का कोई जरिया नहीं रह जाने के कारण उनका परिवार दूसरों की मदद पर निर्भर हो गया है। कुछ लोग चावल, दाल और दूसरी चीजें दे जाते हैं तो काम किसी तरह से चलता है, लेकिन ऐसा कब तक चल सकेगा, यह समझ में नहीं आ रहा। प्राजक्ता ने कहा कि इन हालात में मैं ट्रेनिंग के बारे में सोच भी नहीं सकती। यहां तो जिंदा रह पाना भी मुश्किल हो रहा है। प्राजक्ता ने कहा कि लॉकडाउन ने हमें बर्बाद कर दिया है। हमें यह पता नहीं कि क्या करें। हम किसी से मदद नहीं मांग रहे, बस लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। प्राजक्ता ने कहा कि उन्होंने जिला या राज्य स्तर किसी भी एथलेटिक्स अधिकारी से मदद नहीं मांगी है।