38 साल की उम्र और 3 बच्चों के बाद भी बहुत फिट है ये खिलाड़ी, बॉक्सिंग रिंग से लेकर किचन तक जीती है ऐसी लाइफ

स्पोर्ट्स डेस्क : भारत की सबसे बेहतरीन महिला मुक्केबाज और 6 बार की वर्ल्ड चौंपियन एमसी मैरीकॉम (MC Mary Kom) को टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic 2020) में अराजक फैसले की वजह से बाहर होना पड़ा। मैरीकॉम प्री-क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया (Columbia) की इंग्रिट वालेंसिया से 2-3 से हार गई। हालांकि, 38 साल की उम्र में भी मैरीकॉम जिस तरह से रिंग में लड़ी वो काबिल-ए-तारीफ है, शायद इसलिए सभी कह रहे कि मैरी को बाहर करने का फैसला सही नहीं था। सभी लोगों के लिए वो इसीलिए प्रेरणा बनीं, क्‍योंकि तमाम मुश्किलों के बावजूद उनके प्रदर्शन का स्‍तर नहीं गिरा और दोहरी शक्ति से वह लड़ती गईं। आइए आज हम आपको बताते हैं, एमसी मैरीकॉम की पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ के बारे में....

Asianet News Hindi | Published : Jul 30, 2021 12:46 AM IST

111
38 साल की उम्र और 3 बच्चों के बाद भी बहुत फिट है ये खिलाड़ी, बॉक्सिंग रिंग से लेकर किचन तक जीती है ऐसी लाइफ

आंखों में आंसू, चेहरे पर मुस्कान और हाथ जोड़ती ये तस्वीर ये साफ बयां करती है, कि ये कोई महान खिलाड़ी ही हैं। गुरुवार को जिस ताकत के साथ वो रिंग में उतरी वो सभी देखते रह गए। लेकिन जजों के एक फैसले के चलते उनका टोक्यो ओलंपिक 2020 का सफर खत्म हो गया। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत ही नहीं दुनिया की महान मुक्केबाज और देश की शान एमसी मैरीकॉम की, जिन्होंने हार के बाद भी ये दिखा दिया, कि क्यों ये खिलाड़ी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में से एक है। 

211

बॉक्सिंग रिंग से लेकर घर तक मैरी की कहानी हर इंसान को ये बताती है कि मां बनने के बाद औरत का शरीर कमजोर नहीं, बल्कि और मजबूत होता है और उसे हमेशा अपने मन की करते रहना चाहिए। ओलिंपिक मेडलिस्‍ट मैरीकॉम दुनिया की हर पत्‍नी के लिए भी प्रेरणा हैं। अपने खेल के कारण उन्‍होंने अपनी जिम्‍मेदारियों से कभी मुंह नहीं मोड़ा।

311

एमसी मैरीकॉम गरीब किसान परिवार से संबंध रखती थीं। उनके पिता तोंपा कॉम और मां अखम कॉम दोनों खेतों में मजदूरी किया करते थे। मैरी भी खेतों के कामों में पिता की मदद करके स्‍कूल जाया करती थी। हालांकि बचपन से ही उन्हें खेलों में बहुत दिलचस्पी थी। उन्होंने 400 मीटर रनिंग जैसे कई खेल खेलें।

411

आठवीं क्‍लास से पहले तक मैरी ने बॉक्सिंग के बारे में कभी सोचा भी नहीं था, मगर 1998 में जब डिंको सिंह एशियन गेम्‍स में गोल्‍ड मेडल जीतकर बैंकॉक से अपने घर मणिपुर लौटे, तो मैरीकॉम उनसे बहुत प्रभावित हुईं और उन्‍होंने वहीं से बॉक्सिंग करने का फैसला किया।

511

इसके बाद मैरीकॉम ने इम्‍फाल के एक स्‍कूल में नौंवी और दसवीं की पढ़ाई के लिए आ गई। मगर वो मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं कर पाई। साल 2000 में उन्‍होंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग शुरू की और 15 साल की उम्र में स्‍पोर्ट्स एकेडमी जाने के लिए अपना घर तक छोड़ दिया।

611

मैरीकॉम के पिता उनकी बॉक्सिंग के खिलाफ थे। दरअसल उनके पिता को डर था कि कहीं बॉक्सिंग के कारण उनकी बेटी का चेहरा खराब न हो, नहीं तो शादी में परेशानी आएगी। हालांकि साल 2000 में मैरी ने स्‍टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप का खिताब जीता था, जिस वजह से उनकी फोटो अखबार में छपी थी। जिससे उनके पिता को पता चल गया कि मैरी बॉक्सिंग करती हैं।

711

इसके बाद घर में काफी विरोध हुआ, लेकिन मैरीकॉम की जिद के आगे सभी लोग झुक गए। तीन साल बाद मैरी को अपनी पिता का साथ मिला और यहां से उनका असली सफर शुरू हो गया।

811

मैरी ने 2001 में वर्ल्‍ड चैंपियनशिप से डेब्‍यू किया और अपने पहले ही टूर्नामेंट में उन्‍होंने सिल्‍वर मेडल जीत लिया। इसके बाद 2002 वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में गोल्‍ड जीता। इसके बाद इस दिग्‍गज खिलाड़ी का नाम दुनिया के हर कोने में छाने लगा।

911

मैरीकॉम का करियर जब पीक पर था तो उन्‍होंने 2005 में फुटबॉलर करुंग ओंखोलर से शादी की और इसके बाद उन्‍होंने बॉक्सिंग से ब्रेक ले लिया था। 2007 में मैरी ने जुड़वां बच्‍चों को जन्‍म दिया। इससे उनकी शरीर जरूरत कमजोर हुआ, लेकिन इरादे बहुत मजबूत थे। उन्होंने एक साल बाद ही पूरी तैयारी के साथ रिंग में वापसी की। बता दें कि मैरीकॉम के 3 बेटे और एक बेटी हैं। कुछ साल पहले उन्होंने बेटी को गोद लिया था।

1011

वो रिंग में सिर्फ उतरी ही नहीं, बल्कि 2008 में वर्ल्‍ड चैंपियनशिप का खिताब जीता और एशियन महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्‍वर मेडल भी जीता। मैरी ने 2013 में तीसरे बेटे को जन्‍म दिया। मैरी का ये सफर आज भी जारी है और गुरुवार को कोलंबिया की इंग्रिट वालेंसिया के खिलाफ मैच में साफ देखा गया कि अभी भी उनके पंच में युवा मैरी जैसा ही दम है।

1111

1 मार्च 1983 केा मणिपुर में जन्‍मीं मैरीकॉम ने अपने पहले ही इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मेडल जीत लिया था। वह छह बार विश्‍व चैंपियन बनने वाली दुनिया की एकमात्र महिला मुक्‍केबाज है। साथ ही अपने शुरुआती सात वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली भी दुनिया की एकमात्र महिला मुक्‍केबाज भी हैं। इसके साथ ही 2012 में मैरीकॉम ने लंदन ओलिंपिक में 51 किग्रा में ब्रॉन्‍ज मेडल हासिल किया था। 2014 में एशियन गेम्‍स और 2018 कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में गोल्‍ड मेडल जीतने वाली वह भारत की पहली महिला मुक्‍केबाज हैं।

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos