कोरोना ने हंसती-खेलती जिंदगियों को संक्रमित किया है..ये 25 तस्वीरें इंसान के संघर्ष को दिखाती हैं
नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण ने सारी दुनिया को संघर्ष में धकेल दिया है। ऐसा कोई देश नहीं बचा, जहां कोरोना संक्रमण नहीं पहुंचा हो। कहीं ज्यादा, तो कहीं कम..लेकिन हर देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है। हजारों मौतों के बावजूद दुनिया को उम्मीद है कि मानव इस महामारी पर भी विजयी हासिल करेंगे। भारत में 21 दिनों के लिए लॉक डाउन किया गया है। इस दौरान जनता को किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए सरकार ने कई पैकेज की घोषणा की है। विशेषकर दूसरें राज्यों में काम करने वाले कामगारों और गरीबों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया गया है। जो दिहाड़ी मजदूर लॉक डाउन के कारण बेरोजगार हो गए हैं, उन्हें हर महीने 10 किलो अनाज मुफ्त दिया जाएगा। किसानों को भी आर्थिक मदद दी जाएगी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ गरीब लोगों को लाभ मिलेगा। सरकार अपने स्तर पर मदद कर रही ही है, लेकिन लोगों दु:ख बाजिब है। जो मेहनत-मजदूरी करके पेट भरना पसंद करते थे, वे खाली बैठकर मायूस हैं। लेकिन वे जानते हैं कि घरों में रहना कोरोना वायरस को हराने के लिए जरूरी है। अभी तक देश में कोरोना पॉजिटिव की संख्या 649 हो गई। यह अच्छी बात है कि इनमें से 42 लोग इस संक्रमण से उबर गए हैं। जिन 13 लोगों की मौत हुई, उनमें ज्यादातर बुजुर्ग और पहले से ही बीमार लोग थे। आगे देखिए लॉकडाउन के दौरान की देशभर की कुछ तस्वीरें.. आखिरी तस्वीर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की है। इसे दिखाने का यही मकसद है कि लोग समझें कि महामारी सरहदों से बंधी नहीं होती...
Asianet News Hindi | Published : Mar 26, 2020 12:30 PM IST / Updated: Mar 26 2020, 06:02 PM IST
यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के हावड़ा की है। यह एक मजदूर महिला है। जब उसे राशन नहीं मिल सका, तो वो रोने लगी। उसकी गोद में मासूम बच्चा था।
यह तस्वीर तेलंगाना की है। मजदूरी न मिलने के बाद सरकारी सहायता के तहत खाना लेता एक दिव्यांग।
यह तस्वीर हैदराबाद की है। तेलंगाना में फूड बूथ के बाहर खाने के लिए लगे गरीब।
अपने घर से दूर काम करने निकला यह परिवार लॉक डाउन में फंस गया। खुद को असहाय जानकर दम्पती और उसका बच्चा मायूस दिखाई दिया।
यह तस्वीर पंजाब के अमृतसर की है। यहां पुलिस और स्वयंसेवी गरीबों को अनाज बांटते हुए।
यह तस्वीर नई दिल्ली के एक स्लम की है। लॉक डाउन के कारण गरीबों में घबराहट है। हालांकि सरकार उनके खाने-पीने का पूरा प्रबंध कर रही है।
वक्त इतना बुरा भी आएगा सोचा न था: कोलकाता में लॉक डाउन के दौरान बाहर निकले मजदूर को पड़े डंडे।
यह तस्वीर मध्य प्रदेश के सागर की है। यहां एक शवयात्रा के दौरान लोग सैनिटाइजर लेकर श्मशानघाट पहुंचे।
यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के आगरा की है। यहां लंबे समय से बीमार एक बुजुर्ग की मौत के बाद लॉक डाउन के बीच अंतिम यात्रा निकाली गई। मृतक के बेटे ने ज्यादातर लोगों को घरों में ही रहने को कहा।
यह तस्वीर पंजाब के अमृतसर की है। अपने बच्चे के साथ यह कपल मंदिर के बाहर भगवान से दुनिया की सलामती की प्रार्थना करता हुआ।
जयपुर में लॉक डाउन के दौरान मोबाइल पर गेम खेलकर टाइम पास करता एक लड़का।
यह तस्वीर भी पंजाब के अमृतसर की है। जिनके लिए खाने का संकट पैदा हो गया, उनकी प्रशासन और स्वयंसेवी मदद करने आगे आए हैं।
यह तस्वीर नई दिल्ली के एक मार्केट की है। ग्राहकों के इंतजार में बैठा एक फल विक्रेता।
यह तस्वीर हैदराबाद की है। लॉक डाउन से इन बेचारे जानवरों के लिए भी खाने के लाले पड़ गए हैं। इनको भी मदद की जरूरत है।
यह तस्वीर झारखंड के रांची की है। सखी मंडल हेल्प ग्रुप की ये महिलाएं कोरोना वायरस से बचाने युद्धस्तर पर मॉस्क बनाने में जुटी हैं।
यह तस्वीर मुंबई की है। मार्केट बंद होने से मजदूरों का काम-धंधा ठप हो गया है।
दिल्ली की यह तस्वीर खतरनाक है। बिना मास्क एक-दूसरे के पास खड़े इन लोगों को कब समझ आएगा कि कोरोना का वायरस कोई रिश्तेदारी नहीं निभाएगा।
यह तस्वीर दिल्ली की है। रिक्शावाले सवारियों के इंतजार में बैठे हुए। हालांकि उन्हें मालूम है कि लॉक डाउन के कारण सवारियां मिलना मुश्किल है।
यह तस्वीर झारखंड के रांची जिले के गांवों की है। यहां लोगों की प्रवेश को रोक दिया गया है।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है।
लापरवाही की यह तस्वीर नई दिल्ली की एक मंडी की है। अलर्ट के बावजूद लोग इस तरह सामान खरीदने पहुंचे।
यह तस्वीर नई दिल्ली की है। लॉक डाउन के कारण एक रिक्शा वाला मायूस होकर अपनी झुग्गी के बाहर बैठा हुआ।
यह तस्वीर मुंबई पर गुड़ी पड़वा के दौरान की है। एक बच्ची कोरोना वायरस को लेकर घोषित लॉक डाउन का समर्थन करते हुए।
जयपुर में लॉक डाउन के बीच ठेले पर सोता एक मजदूर।
यह तस्वीर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की है। कोरोना वायरस से दुनिया का कोई भी कौन नहीं बच सका है। ऐसे में गरीबों को दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भारी पड़ रहा है। एक गुब्बारा वाला और कुछ मजदूर कोरोना के डर के बीच रोजी-रोटी की तलाश में निकले।