जरा याद करो कुर्बानी: अपने बच्चे का मुंह देखने से पहले ही देश की रक्षा करते हुए दुनिया से चला गया जांबाज

सोलन, हिमाचल प्रदेश. बॉर्डर पर देश की सुरक्षा के लिए मुस्तैद 29 वर्षीय जवान बिलजंग गुरुंग का मंगलवार को सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ सोलन जिले के सुबाथू स्थित रामबाग में अंतिम संस्कार किया गया। गुरुंग सियाचिन के ग्लेशियर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्यूटी के दौरान बर्फ की खाई में गिरने पर शहीद हो गए थे। उनकी पत्नी 8 माह की गर्भवती है। अपने पति की अंतिम विदाई पर वो श्मशान घाट पर भी नहीं जा सकी। उसने वीडियो कॉल पर पति के अंतिम दर्शन किए। वहीं, बेटे की चिता देखकर मां का कलेजा फट पड़ा। गुरुंग भारतीय सेना में गोरखा प्रशिक्षण केंद्र (GTC) में 3/1 जीआर के जवान थे।

Asianet News Hindi | Published : Dec 9, 2020 5:16 AM IST
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जरा याद करो कुर्बानी: अपने बच्चे का मुंह देखने से पहले ही देश की रक्षा करते हुए दुनिया से चला गया जांबाज

गुरुंग की पिछले साल ही शादी हुई थी। ससुराल नेपाल में है। इस समय उनकी पत्नी मायके में है। इसलिए वो पति की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सकी।

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श्मशानघाट पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सैजल, ब्रिगेडियर HS संधू ने शहीद को पुष्पचक्र अर्पित किए। शहीद को पिता लोक राज गुरुंग ने मुखाग्नि दी। 

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बिलजंग के पिता लोक राज गुरुंग भी सेना में रहे हैं। जिस यूनिट में गुरुंग थे, उसी से लोक राज भी सेवानिवृत्त हुए थे। गुरुंग का भाई भी आर्मी में है। इस समय वो जम्मू-कश्मीर में तैनात है।
 

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बता दें कि गुरुंग सियाचिन ग्लेशियर पर 18 हजार 360 फीट की ऊंचाई पर तैनात थे।
 

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गुरंग की अंतिम यात्रा में सेना और प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद थे।

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जाबांज गुरुंग को अंतिम सलामी देते सेना के अधिकारी।

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