अहमदाबाद, गुजरात. जिंदगी में कोई काम छोड़ा-बड़ा नहीं होता। दूसरा, मुसीबत में ही इंसान को अपने भीतर की ताकत का एहसास होता है। मूलत: सूरत की रहने वाली अंकिता शाह भी जिंदगी के इसी पड़ाव से गुजर रही हैं। एक पैर से लाचार अंकिता ने इकॉनामिक्स से ग्रेजुएशन किया है। वे एक जगह जॉब करती थीं। इसी दौरान उन्हें मालूम चला कि उनके पिता को कैंसर है। अपने पिता के इलाज के लिए अंकिता को बार-बार अहमदाबाद आना पड़ा। लिहाजा उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ गई। उन्हें दूसरी जगह नौकरी भी नहीं मिली। उनके साथ दिव्यांग होने से भेदभाद किया जाने लगा था। शुरुआत में अंकिता को कुछ नहीं सूझा। वे मायूस हुईं, फिर उन्हेांने खुद के आत्मविश्वास को समेटा। अब वे ऑटो रिक्शा चलाकर अपने पिता के इलाज के लिए पैसा जुटा रही हैं।