बिजनेसमैन परिवार का बुरा वक्त:रोटी के लिए बेंच दिए बच्चों के खिलौने, कुछ नहीं मिला तो 6 लोगों ने खाया जहर


वड़ोदरा (Gujrat.गुजरात के वडोदरा शहर में बुधवार को एक ही परिवार के 6 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या करने के पीछे की ऐसी दुखद कहानी सामने आई है, जिसे जान पुलिसवालों की आंखों में भी आंसू आ गए। हर कोई भगवान से यही कह रहा है कि है ईश्वर ऐसे दिन किसी और की जिंदगी में ना आएं। पड़ोसियों ने बताया कि आखिर किन हालातों के चलते परिवार परेशान होकर मरने के लिए मजबूर हो गया। आइए जानते हैं कैसे यह बिजनेसमैन परिवार दो वक्त की रोटी तक के लिए मोहताज हो गया था।

Asianet News Hindi | Published : Mar 4, 2021 1:04 PM IST / Updated: Mar 04 2021, 08:42 PM IST

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बिजनेसमैन परिवार का बुरा वक्त:रोटी के लिए बेंच दिए बच्चों के खिलौने, कुछ नहीं मिला तो 6 लोगों ने खाया जहर


दरअसल, वडोदरा शहर की स्वाति सोसायटी में व्यवसायी नरेंद्र सोनी (68) का परिवार रहता था। जिसमें उनकी पत्नी दीप्ती, बेटा भाविन और बहू उर्वशी  के साथ-साथ उनका 4 साल का पोता पार्थ और 17 साल की बेटी रिया शामिल हैं। इस पूरे सोनी परिवार के घर के मुखिया नरेंद्र सोनी थे, जिनकी कमाई से ही घर का खर्चा चलता था। वह इमिटेशन ज्वेलरी का व्यापार करते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों से उनको घाटे पर घाटा लग रहा था। व्यापार  को पटरी पर लाने के लिए उन्होंने पूरी जमा पूंजी लगा दी। लाखों रुपए कर्जा ले लिया फिर इसका ब्याज चुकाने के लिए घर बेचना पड़ा। आखिर में निराश होकर उन्होंने पूरे परिवार के साथ कोल्ड्रिंक के साथ कीटनाशक पीकर जान देने का फैसला कर लिया।

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पुलिस की जांच में सामने आया है कि नरेंद्र सोनी ने व्यवसाय में हो रहे घाटे और अपने परिवार का पेट पालने के लिए कई लोगों से लाखों रुपए का कर्जा लेकर रखा था। उन्होंने उधारी चुकाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कहीं से उनके पास फैसे आने का विकल्प भी नहीं बचा। आलम यह होने लगा कि वह एक-एक करके अपने घर का फर्नीचर और प्लास्टिक का सामान बेचने लगे। घर में जितनी भी गाड़ियां थी सब को माटी के मोल बेंच दिया।
 

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एक समय ऐसा आया जब नरेंद्र सोनी को परिवार का पेट पालना भी मुश्किल लगने लगा। इतना ही नहीं जब कहीं से कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने बच्चों की साइकिल साइकिल तक 500 रुपए में बेच दी थी। आलम यह हो गया कि कबाड़ में बच्चों के खिलौने तक बेंचने पड़े। 

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नरेंद्र सोनी के पड़ोसियों ने बताया कि मृतक परिवार ने अपना मकान एक साल पहले बेंच दिया था। मकान में जो  25 लाख रुपए मिले थे, वह ब्याज चुकाने में खर्च हो गए। फिर भी उनपर लाखों का कर्जा बना रहा। मकान बेचने के बाद वह पास में किराए के घर में रहने लगे। पड़ोसी ने बताया कि एक वक्त था जब इस परिवार के पास अच्छा खासा पैसा था। लेकिन बिजनेस में घाटा हुआ तो वह सड़क पर गया। भगवान ऐसी हालत किसी की ना कराना कि आखिर में दुखी होकर मरना पड़े।

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लोगों ने बताया कि बिके हुए मकान से जो थोड़ा बहुत पैसा बचा था, वह लॉकडाउन में घर बैठे-बैठे खर्च हो गया। जबकि दुकान बंद होने के चलते कमाई एक पैसा की नहीं हुई। किसी तरह पड़ोसियों से उधार लेकर गुजारा किया। वहीं नरेंद्र का बेटा भाविन कम्प्यूटर रिपेयरिंग का काम करता था, लेकिन उसकी कमाई इतनी ज्यादा नहीं थी कि वह परिवार का पेट पाल सके।

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सोनी परिवार के 6 लोगों में से नरेंद्र की पत्नी दीप्ती, बेटा भाविन और बहू उर्वशी जिंदा बचे हैं, जबकि नरेंद्र सोनी अपने पोते पार्थ और बेटी रिया की मौत हो गई।  कीटनाशक दवा पीने के बाद परिवार चीखने लगा, तो पड़ोसियों ने  108 एंबुलेंस और पुलिस को सूचना देकर मौके पर बुलाया।

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पुलिस को जांच के दौरान मृतक परिवार के घर से कमरे में कोल्डड्रिंक और कीटनाशक मिले हैं।

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