कृपया ध्यान दें, 22 अगस्त को शाम 5 से रात 8 बजे तक टेलिफोन पर आप शोक संवेदनाएं दे सकते हैं

अहमदाबाद, गुजरात. कोरोना ने दुनिया को दो काल में बांट दिया है। पहला कोरोना के पहले की जीवनशैली और दूसरी इसके बाद की। जिंदगी में जैसा पहले कभी नहीं हुआ, वो कोरोना के कारण हो गया। पहले कहते थे कि किसी के सुख में शामिल हो न हो, लेकिन दु:ख में सम्मिलित अवश्य होना चाहिए। लेकिन कोरोना के कारण अब लोगों को आने से रोका जा रहा है। यह श्रद्धांजलि सभा सोशल मीडिया पर सुर्खियों में हैं। यहां के बापूनगर की इंडिया कॉलोनी में रहने वालीं पन्ना ठक्कर का पिछले दिनों निधन हो गया। परिजनों ने कोरोना के मद्देनजर श्रद्धांजलि देने एक सराहनीय कदम उठाया है। 22 अगस्त को इनकी टेलिफोनिक श्रद्धांजलि सभा रखी गई है। यानी लोग बिना आए टेलिफोन पर अपनी शोक संवेदना जता सकते हैं। इसके लिए शाम 5 से रात 8 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। बता दें कि इससे पहले 16 अगस्त को ड्राइव थ्रू शोकसभा रखी गई थी। यानी लोग गाड़ियों में बैठक पहुंचे और बिना उतरे तस्वीर पर फूल चढ़ाकर आगे बढ़ते गए। आगे पढ़िए इस सराहनीय पहल के बारे में..

Asianet News Hindi | Published : Aug 21, 2020 6:22 AM IST / Updated: Aug 21 2020, 11:54 AM IST

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कृपया ध्यान दें, 22 अगस्त को शाम 5 से रात 8 बजे तक टेलिफोन पर आप शोक संवेदनाएं दे सकते हैं

पन्ना ठक्कर अहमदाबाद के पॉश इलाके सैटेलाइट के शिवालिक बंगले में रहती थीं। इनके परिजनों को मालूम था कि अगर कुछ तरीका नहीं निकाला गया, तो शोक जताने बड़ी संख्या में लोग पहुंचेंगे। लिहाजा उन्होंने ड्राइव थ्रू श्रद्धांजलि का आइडिया निकाला था।
 

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यह श्रद्धांजलि सभा एक अलग तरह की थी। सभा में पन्ना ठक्कर का बड़ा फोटो रखा गया था। उसे फूलों से सजाया गया था। समीप उनके परिजन बैठे थे, जो गाड़ियों में बैठकर श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोगों का अभिभावदन कर रहे थे। इन लोगों से फूल आदि लेकर फोटो तक चढ़ाने कर्मचारी लगा रखे थे।

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श्रद्धांजलि सभा के दौरान स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखा गया था। वहीं, लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने तुलसी के पौधे बांटे गए थे।

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अब 22 अगस्त को टेलिफोनिक श्रद्धांजलि रखी गई है। इसके लिए रिश्तेदारों और परिचितों को पहले से ही अवगत करा दिया गया है कि वे टेलिफोन पर अपना शोक जता सकते हैं।

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बता दें कि पन्ना ठक्कर सोशल वर्कर थीं। वे कैंसर के खिलाफ लोगों को जागरूक करती थीं। पन्ना ठक्कर खुद भी कैंसर पीड़ित थीं। उनके बेटे प्रेम ठक्कर ने बताया कि उनकी मां को 2015 में स्तन कैंसर का पता चला था। 2019 में फेफड़ों का कैंसर हो गया। लंबे इलाज के बाद उनका निधन हो गया।

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