बात 2005 की है। सोनल रिपोर्टिंग के दौरान अकसर सिविल अस्पताल जाती थीं। एक दिन उन्होंने देखा कि अस्पताल में एक गर्भवती महिला आई हुई थी। उसे ससुरालवालों ने जला दिया था। उसके गर्भ में लड़की थी। सोनल को यह देखकर बड़ा दु:ख हुआ। उन्होंने उस महिला की मदद की और फिर 5 साल बाद नौकरी छोड़कर ग्रामीण महिलाओं के लिए काम करने की ठानी।