दरअसल, यह कहानी है कांगड़ जिले के घुरकाल पंचायत के दो भाई महेश और मोहित की। जिनकी मां बचपन मं गुजर गईं और कुछ दिन बाद उनके पिता ने भी दम तोड़ दिया। बिना मां-बाप के मासूम अनाथ हो गए, ऐसे में इन बच्चों ने अपने चाचा का साहार लिया। लेकिन लॉकडाउन के बाद से चाचा को भी काम नहीं मिल पा रहा। तो ऐसे में मासूमों की दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि किसी दिन खाली पेट सो जाते हैं तो कभी आधा पेट भर जाता है।