Published : Jun 17, 2020, 01:09 PM ISTUpdated : Jun 29, 2020, 08:13 PM IST
नई दिल्ली. 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' की भावना को चीन ने फिर से छलनी किया है। गलवान घाटी की घटना ने चीन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15/16 जून की रात चीन और भारत की सेना के संघर्ष में भारत ने अपने 20 जवानों को खोया। वहीं, चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं। हालांकि चीन इसकी पुष्टि कभी नहीं करेगा। चीन हमेशा से ही पीठ में छुरा घोंपने वाला देश रहा है। बता दें कि 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हो चुका है। बेशक तब भारत को इसमें नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन भारतीय सेना और आम लोगों ने जो साहस दिखाया था, वो इतिहास में दर्ज है। लेकिन अब भारत चीन के मुकाबले कहीं से भी कमजोर नहीं बैठता। देखिए 1962 के युद्ध के दौरान के पहले की कुछ तस्वीरें...
यह तस्वीर 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान की है। ये हैं असम राइफल्स के जवानों की फैमिली। इनके चेहरे पर तनाव है, लेकिन हाथों में अपने पतियों के हथियार थामकर इन्होंने अपनी देशभक्ति जताई थी।
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यह तस्वीर 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान की है। जब लद्दाख में चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। यह भारतीय सैनिक हैं।
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1962 में चीन से युद्ध के लिए लद्दाख निकलती भारतीय सेना को लोगों ने यूं विदा किया था।
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यह तस्वीर असम के तेजपुर में लगे सेना के कैम्प की है। इसमें होमगार्ड की महिलाओं ने भी युद्धकला की ट्रेनिंग ली थी।
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युद्ध के पहले चीन से लोहा लेने की तैयारी करती भारतीय सेना।
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लद्दाख सीमा पर तैनात भारतीय जवान। तस्वीर यह तस्वीर 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान की है।
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युद्ध के लिए बॉर्डर पर रवाना होती भारतीय सेना।
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युद्ध के दौरान सीमा से लोगों को हटाया गया था।
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असम के तेजपुर स्थित सेना के कैम्प में होमगार्ड जवान।
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युद्ध से सैकड़ों लोगों को पलायन करना पड़ा था।
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1962 के युद्ध से पहले सीमा से पलायन करते लोग।
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असम के तेजपुर कैम्प में राइफल चलाने की ट्रेनिंग लेतीं महिलाएं।
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यह तस्वीर ताजा है। सीमा पर तनाव के बीच मुस्तैदी से डटे भारतीय जवान।
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भारतीय जवान चीन की हर हरकत का मुकाबला करने तैयार हैं।