IPS बनने से पहले जब एक 'ढीठ' आदमी से पाला पड़ा , जानिए कैसे बदल गई बस कंडक्टर की बेटी की लाइफ

Published : Jun 04, 2020, 02:18 PM ISTUpdated : Jun 04, 2020, 02:23 PM IST

कुल्लू, हिमाचल प्रदेश. जिंदगी की हर छोटी-बड़ी घटना इंसान को सबक देती है। ये सबक इंसान को तरक्की के रास्ते पर ले जाते हैं। गरीबी किसी की मंजिल में आड़े नहीं आती। हिमाचल प्रदेश कैडर की यह यंग IPS शालिनी अग्निहोत्री इसका उदाहरण हैं। शालिनी हिमाचल प्रदेश के ही ऊना की रहने वाली हैं। इनका जन्म 14 जनवरी, 1989 को हुआ। मां शुभलता गृहणी हैं, जबकि पिता रमेश बस कंडक्टर थे। एक बार शालिनी अपनी मां के साथ बस में सफर कर रही थीं। उनके पीछे एक आदमी सीट पकड़कर खड़ा हुआ था। उसकी हावभाव और हरकतें ठीक नहीं लग रही थीं। इस पर शालिनी की मां ने उसे ठीक से खड़े रहने को कहा। वो आदमी ढीठ था, नहीं माना। इस पर शालिनी की मां ने उसे डांट दिया। इस बात पर आदमी ने पलटकर कहा कि शालिनी की मां क्या कोई डीसी हैं, जो वो उनकी बात सुनेगा? यह बात शालिनी को ठीक नहीं लगी। तब उन्हें नहीं मालूम था कि डीसी(कलेक्टर) का क्या मतलब होता है? जब मालूम चला, तो ठान लिया कि अब तो वो पुलिस अफसर बनेगी। पढ़िए यह कहानी और लीजिए सबक कि जिंदगी में कुछ भी असंभव नहीं होता..

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IPS बनने से पहले जब एक 'ढीठ' आदमी से पाला पड़ा , जानिए कैसे बदल गई बस कंडक्टर की बेटी की लाइफ

शालिनी अग्निहोत्री ने सिर्फ 18 महीने की तैयारी के बाद 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी। (अपने माता-पिता के साथ)

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IPS की ट्रेनिंग के दौरान शालिनी अग्निहोत्री को 65वें बैच में पहला स्थान मिला था। इनकी पहली पोस्टिंग कुल्लू में हुई थी।

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शालिनी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने ठान लिया था कि IPS बनना है। इसलिए वो आधी रात तक पढ़ाई करती थीं। कभी-कभार तो 3-4 बज जाते थे।

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शालिनी के पति संकल्प शर्मा यूपी कैडर के IPS हैं। वे मूलत: राजस्थान से हैं।  

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शालिनी और संकल्प की मुलाकात ट्रेनिंग के दौरान हुई थी। तभी वे एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे।

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शालिनी मूलत: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के एक दूरदराज गांव थाटहाल की रहने वाली हैं। इनके पिता रमेश कुमार कभी धर्मशाला में एचआरटीसी में कंडक्टर थे।

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शालिनी की एजुकेशन धर्मशाला के डीएवी स्कूल से हुई। बाद में उन्होंने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।

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शालिनी को यूपीएससी में 285वीं रैंक मिली थी। शालिनी कहती हैं कि वे इस प्रोफेशन में इसलिए आईं, ताकि लोगों की मदद कर सकें।

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शालिनी को एडवेंचर गेम्स में रुचि रही है। वे आज भी अपने शौक पूरे करती हैं।

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शालिनी कठिन ड्यूटी के बावजूद अपनी जिंदगी को भरपूर एंजाय करती हैं। 

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शालिनी को साइकिलिंग का शौक रहा है। वे कहती हैं कि जिंदगी में ऊर्जा के लिए फिटनेस बहुत जरूरी है।

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शालिनी समय निकालकर आज भी स्कूली बच्चों को पढ़ाती हैं।

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