कभी 500 रुपए महीने की नौकरी करते थे उपसभापति हरिवंश, सबसे पहले इन्होंने ही उजागर किया था चारा घोटाला

Published : Sep 14, 2020, 07:39 PM ISTUpdated : Sep 14, 2020, 07:42 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना महामारी (Corona pandemic) के बीच सोमवार को शुरू हुए संसद का मानसून सत्र ( Monsoon Session) में  हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के उपसभापति (rajya sabha deputy speaker) चुने गए । वे दूसरी बार इस पद के लिए चुने गए हैं। एनडीए (NDA) ने इस पद के लिए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने  आरजेडी के मनोज झा को हराया है।

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कभी 500 रुपए महीने की नौकरी करते थे उपसभापति हरिवंश, सबसे पहले इन्होंने ही उजागर किया था चारा घोटाला

दरअसल, हरिवंश राजनीति में आने से पहले पत्रकारिता पत्रकार के तौर पर पहचान बना चुके थे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत महज 500 रुपए महीने में मिलने वाले वेतन से शुरू किया था। लेकिन अब वह पिछले दो बार से राज्यसभा के उपसभापति चुने जा रहे हैं। बता दें कि हरिवंश मूल रूप से बलिया के सिताब दियारा गांव के रहने वाले हैं, जिनका परिवार आज भी खेती करता है।
 

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हरिवंश की ने अपनी पढ़ाई बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पढ़ाई की है, फिर यहीं से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया। इसके बाद वह साल 1974 में जयप्रकाश नारायण समग्र आंदोलन से जुड़ गए। जिसमें उन्होंने जगह पूरे देश में घूमकर आंदोलन किया।

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बता दें कि हरिवंश ने अपनी पहली नौकरी 1977 में टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से शुरू की थी। जहां कुछ दिनों बाद उनको इसी मीडिया समहू ने अपनी धर्मयुग मैगजीन के लिए मुंबई भेज दिया। 80 के दशक में यह मैगजीन प्रतिष्ठित पत्रिका हुआ करती थी। इस नौकरी में उनको 500 रुपए वेतन मिलता था, यहां उन्होंने करीब 4 चाल तक काम किया।
 

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चार साल तक टाइम्स ऑफ इंडिया में नौकरी करने के बाद हरिवंश ने इसे छोड़कर बैंक ऑफ इंडिया में सरकारी नौकरी शुरू की। लेकिन यह भी उनको रास नहीं आई और वह फिर कोलकाता से निकलने वाले अमृत बाजार पत्रिका अखबार से जुड़ गए। वह यहां पर असिस्टेंट एडीटर के पद पर काम करने लगे और उनकी पहचान पूरे देश में बन गई।

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हरिवंश जी ने 1989 में रांची में प्रभात खबर अखबार के संपादक के तौर पर अपनी नई पारी शुरू की। जहां उन्होंने कुछ समय में इस अखबार का सर्कुलेशन  बढ़ा दिया और लोग उसको पढ़ने लगे। धीरे-धीरे यह अखबार झारखंड का सबसे पढ़ा जाने वाला पेपर बन गया। इस तरह हरिवंश ने 40 सालों तक पत्रकारिता फील्ड में काम किया। उन्होंने ही बिहार के चर्चित चारा घोटाला को सबसे पहले उजागर किया था।

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चारा घोटाला उजागर करने के बाद तमाम राजनीतिक दल उनको पार्टी से जुड़ने और चुनाव लड़ने का ऑफर देने लगे। साल 2014 में जेडीयू ने उन्हें 2014 में पहली बार राज्यसभा में भेजा, जहां से उनकी जिंदगी की एक नई पारी शुरू हुई। 4 साल बाद एनडीए ने उन्हें राज्यसभा में अपना उपसभापति का उम्मीदवार बनाया। वह चुनाव जीते और बन गए उपसभापति।

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