मदर्स डे: मां-बेटी की अनोखी जोड़ी, हर कदम पर देती साथ, सफलता के शिखर पर दोनों, एक-दूजे के त्याग से सीखिए

Published : May 08, 2022, 08:26 AM ISTUpdated : May 08, 2022, 08:33 AM IST

कर्नाटक. लोग सही कहते हैं मां प्यार और त्याग की वो मूरत है जिसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके। वैसे तो मां के प्यार की बराबरी तो कभी नहीं हो सकती। लेकिन उनके लिए इस एक खास दिन को उन्हीं के साथ स्पेशल तरीके से सेलिब्रेट जरूर कर सकते हैं। आज देश-दुनिया में 8 मई को मदर्स डे मनाया जा रहा है। वैसे तो मां के लिए हर दिन खास होत है, फिर भी मदर्स डे मां के प्यार और मातृत्व को समर्पित होता है। आइए आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी मां के बारे जो खुद एक कामयाब सुपर मॉम तो बनी ही, अपनी बेटी को भी सफलता के शिकर तक पहुंचाया....

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मदर्स डे: मां-बेटी की अनोखी जोड़ी, हर कदम पर देती साथ, सफलता के शिखर पर दोनों, एक-दूजे के त्याग से सीखिए

दरअसल, हम बात कर रहे हैं कर्नाटक के दावणगेरे की शिवानी पृथ्वी (24) और उनकी मां दीप्ति पृथ्वी (52) मां-बेटी की सबसे अनोखी जोड़ी की। जो एक-दूसरे को आर्दश मानते हुए एक-दूसरे के नक्शे कदम पर चल रही हैं। दोनों में त्याग और सर्मपण इस तरह है कि मां ने जहां एक तरफ बेटी की खुशी के लिए उसकी रेसिंग में मददगार बनी। तो वहीं मां के लिए बेटी ने भी उनका रेसिंग में मददगार बनी अपना फील्ड चुन लिया। इस जोड़ी में शिवानी पृथ्वी पायलट हैं और उनकी मां दीप्ति पृथ्वी नेविगेटर, यह अनूठी जोड़ी दोनों एक साथ एक ही टीम में इंडियन नेशनल रैली चैम्पियनशिप (INRC) में ट्रैक पर अपना कमाल दिखा जुकी हैं।
 

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शिवानी के पिता बीएस पृथ्वी बेंगलुरू रेसिंग सर्किट के एक मशहूर रेसर हैं, जो 1992 में फ्लैट टायर पर 60 किलोमीटर की लोकल क्लब रैली को कंप्लीट करके लोकल लीजेंड बन गए थे। शिवानी ने बचपन ही रेसिंग अपने पिता से सीखी थी। वह एमबीबीएस पूरा कर चुकी है।  एक मेडिकल स्टूडेंट होने के बजाय भी उसका पूरा ध्यान रेसिंग पर रहता था। बताया जाता है कि मेडिकल पढाई के दौरन शिवानी ने एक बार अपने पिता से कहा कि वह लगातार किताबों के साथ बैठी नहीं रह सकती। वो भी रेसिंग की शुरुआत करना चाहती है। फिर क्या था पिता ने उसका मनोबल बढ़ाया और उसे रेसिंग फील्ड में उतार दिया। छुट्टी के दिन में उन्होंने खुद इससे गुण सिखाए। 

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पिता ने 2018 में पेशेवर रेसिंग ड्राइवर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन 2019 में INRC के लिए उन्हें नेविगेटर (को-ड्राइवर) मिलने में परेशानी हो रही थी। शिवानी के अनुभवहीन होने के चलते किसी ने इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया। फिर एक दिन पृथ्वी ने अपनी पत्नी को बेटी का नेविगेटर बनने की सलाह दी। 
 

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पति पृथ्वी ने शुरुआत में दीप्ति को टाइम-स्पीड-डिस्टेंस इवेंट्स की ट्रेनिंग दी। इसके बाद मां ने अपनी बेटी शिवान के लिए आईएनआरसी में हिस्सा लेने दिन रात मेहनत करके तैयार किया।  शिवानी जहां एमबीबीएस पूरा कर चुकी है। वहीं मां के पास भी एमबीबीएस की डिग्री है ओर वह पैथोलॉजी की प्रोफेसर हैं। लेकिन उन्होंने बेटी की खुशी के लिए अपना फील्ड बदला और वह उसकी सर्वश्रेष्ठ रैली ड्राइवर्स बन गईं।
इस तरह दीप्ति ने आईएनआरसी के पहले राउंड में सफलतापूर्वक शिवानी को नेविगेट किया और साउथ इंडिया रैली की महिला वर्ग में मां-बेटी की जोड़ी ने ट्रॉफी जीतकर दिखा दिया दिया वह किसी से कम नहीं।

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इस अनोखी मां-बेटी की जोड़ी का कहना है कि वह एक-दूसरे के साथ एक फ्रेंड ग्रुप की तर हर बात शेयर करती हैं। इससे एक-दूसरे के साथ काम करने में आसानी होती है। अच्छी समझ के कारण उन्हें रेसिंग में जीत मिली। उनका कहना है कि जब वह फील्ड पर जाती हैं तो एक मां-बेटी ना होकर एक टीचर और स्टूडेंट की तरह पेश आती हैं। हालांकि शिवानी ने यह भी कहा कि वह टीचर  के साथ-साथ उनको हर पल मां का प्यार भी मिलता है।  

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शिवानी ने बताया कि वह जब रैली के लिए कॉम्पिटिटिव मोड में आती हैं तो लंच करना भूल जाती हैं। ऐसे में मां उनका सपोर्ट करती हैं और अपने हाथ से उन्हें खाना खिलाती हैं। हर पल एक स्टूडेंट और बेटी की तरह ख्याल रखती हैं। हालांकि ट्रेनिंग के दौरान शिवानी के पिता  पृथ्वी भी वहां मौजूद होते हैं। एक दिन उन्होंने रैली के पहले दिन शिवानी और दीप्ति पर ओवरसाइट की गलती के लिए जुर्माना लगा दिया था। हालाकि अगले दिन उन्होंने हौंसला अफजाई भी किया।

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