गांव वालों को खौफ है कि जो ग्लेशियर टूटा है, उसके बाद कहीं दूसरा ग्लेशियर नहीं टूट जाए, इसी के चलते रविवार रात से ही कई गांववाले जंगल में रात बिता रहे हैं। जो कि लोगों के घरों से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर है। वह अपने बच्चों और महिलाओं को लेकर चले जाते हैं और सुबह घरों में वापस आ जाते हैं। जहां पर यह लोग सोते हैं वहां का रात का तापमान 1 डिग्री के करीब है, फिर भी वह वहां सोने को मजबूर हैं।