बगैर हेलमेट के कभी बाइक नहीं चलाता था अमन, लेकिन उस रोज मामा हेलमेट लेकर चले गए थे

जालंधर, पंजाब. यह हादसा एक सबक है। सर्वोदय हास्पिटल में 10 सितंबर, 2018 से भर्ती अमन अवस्थी की बाइक एक कार से जा टकराई थी। उनके सिर में गहरी चोट पहुंची। अमन को अब होश आ चुका है, लेकिन उनकी स्थिति अब भी घर जाने की नहीं है। उनका परिवार इसी उम्मीद में है कि अमन जल्द घर लौटेगा। यह तो हॉस्पिटल प्रबंधन की दरियादिली है कि उसे पिछले एक साल से इलाज का पैसा तक लेना बंद कर दिया है। अमन अब यही कहता है कि पुलिस के डर से हेलमेट नहीं, अपने लिए और अपने परिवार के लिए हेलमेट पहनें। अमन की एक छोटी बहन भी है। उसके पिता संदीप अवस्थी बिजली निगम में कैशियर हैं। अमन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा में फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था। लेकिन सारा सपना टूट गया। पिता उसे विदेश पढ़ने भेजना चाहते थे।
 

Amitabh Budholiya | Published : Jan 18, 2020 6:41 AM IST

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बगैर हेलमेट के कभी बाइक नहीं चलाता था अमन, लेकिन उस रोज मामा हेलमेट लेकर चले गए थे
जालंधर, पंजाब. यह हादसा एक सबक है। सर्वोदय हास्पिटल में 10 सितंबर, 2018 से भर्ती अमन अवस्थी की बाइक एक कार से जा टकराई थी। उनके सिर में गहरी चोट पहुंची। अमन को अब होश आ चुका है, लेकिन उनकी स्थिति अब भी घर जाने की नहीं है। उनका परिवार इसी उम्मीद में है कि अमन जल्द घर लौटेगा। यह तो हॉस्पिटल प्रबंधन की दरियादिली है कि उसे पिछले एक साल से इलाज का पैसा तक लेना बंद कर दिया है। अमन अब यही कहता है कि पुलिस के डर से हेलमेट नहीं, अपने लिए और अपने परिवार के लिए हेलमेट पहनें। अमन की एक छोटी बहन भी है। उसके पिता संदीप अवस्थी बिजली निगम में कैशियर हैं। अमन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा में फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था। लेकिन सारा सपना टूट गया। पिता उसे विदेश पढ़ने भेजना चाहते थे।
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अमन के पिता संदीप बताते हैं कि एक दिन पहले ही अमन के नाना सड़क हादसे में घायल हो गए थे। उन्हें देखने ही अमन और वो हास्पिटल गए थे। 10 सितंबर की रात वे अकेले घर के लिए निकला था। वो यह कहकर गया था कि नहा-धोकर वापस लौटेगा। लेकिन रास्ते में डिफेंस कॉलोनी के पास फ्लाईओवर पर गलत साइड से आ रही एक कार ने उसकी बाइक को टक्कर दे मारी।
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अमन बाइक से उछलकर दूर सड़क पर जा गिरा। हादसे में उसके सिर में गहरी चोट आई। वहां से गुजर रहे लोगों में से एक ने अमन के मोबाइल से पिता को को कॉल किया। अमन को हॉस्पिटल पहुंचाया गया।
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घटना के वक्त अमन की हालत ठीक थी। लेकिन हॉस्पिटल पहुंचने पर वो बेहोश हो गया। डॉक्टरों ने उसके बचने की उम्मीद न के बराबर बताई। लगभग 4 महीने चले इलाज के बाद अमन को होश आया।
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अमन बगैर हेलमेट के कभी बाइक नहीं चलाता था। लेकिन घटनावाले दिन उसके मामा हेलमेट लेकर चले गए थे। यह भी दुखद संयोग रहा कि बाइक की इंश्योरेंस पॉलिसी 31 अगस्त 2018 को खत्म हो गई। वहीं 5 दिन पहले 6 लाख की फैमिली हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स हो चुकी थी। जिस कार से बाइक का एक्सीडेंट हुआ, उसका भी बीमा नहीं था।
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अमन अपनी दादी का लाडला था। अमन के एक्सीडेंट के 6 महीने बाद उनका निधन हो गया। वे अंतिम समय तक अमन को लेकर व्याकुल रहीं। अमन उन्हें देखने तक नहीं जा सका। अमन की मां का दिल का ऑपरेशन हो चुका है। उन्हें लेफ्ट साइड पैरालाइज भी है। पैसों के अभाव में वे अपना इलाज भी नहीं करा पा रहीं।
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सर्वोदय हॉस्पिटल ने अमन की माली हालत देखते हुए इलाज का खर्चा लेना बंद कर दिया है। डॉ. पंकज त्रिवेदी कहते हैं कि 16 जुलाई को अमन का जन्मदिन भी हॉस्पिटल की तरफ से मनाया गया।
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डॉ. पंकज त्रिवेदी ने कहा कि अगर अमन को अब डिस्चार्ज भी किया जाता है, तो घर पर भी एक मेल अटैंडेंट और फिजियोथैरेपिस्ट की जरूरत पड़ेगी। इसका खर्च 60 से 70 हजार रुपए महीना पड़ेगा। लिहाजा अमन को डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है।
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