पति की पार्थिव देह से उतरे तिरंगे को गोद में लेकर एकटक निहारती रही वीरांगना, बेटा बोला, मैं भी फौजी बनूंगा
गुरदासपुर, पंजाब. ये तस्वीरें देखकर हर कोई भावुक हो उठेगा। लेकिन ये देशभक्ति की मिसाल भी पेश करती हैं। देश की सेवा करते हुए अपनी जिंदगी न्यौछावर करने वाले वीर जवान हमेशा यादों में जिंदा रहते हैं। मिसालों में और प्रेरक कहानियों में जीवित रहते हैं। वायुसेना की नंबर-3 एयर स्क्वाड्रन NCC यूनिट-पटियाला के ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा की शहादत भी यही कहती है। 24 फरवरी को NCC कैडेटों को जहाज उड़ाने की ट्रैनिंग देते हुए उनका एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया था। इस हादसे में वे शहीद हो गए थे। उनकी पार्थिव देह मंगलवार देर शाम आलोवाल गांव लाई गई। बुधवार को सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। जब उनकी पार्थिव देह श्मशानघाट ले जाई जा रही थी, तब उनकी मां सर्वजीत कौर और पत्नी नवनीत की आंखों में आंसू और गर्व का मिलाजुला भाव था। अपने पति की पार्थिव देह से उतारा गया तिरंगा गोद में लेकर नवनीत कौर एकटक उसे निहारती रहीं। शहीद के बेटे भवगुरनीत सिंह ने रोते हुए कहा कि वो भी अपने पापा की तरह देश की सेवा करने फौज में जाएगा। बेटे ने बताया कि दो दिन पहले ही उसकी पापा से बात हुई थी। बेटे के एग्जाम चल रहे हैं। पापा ने कहा था कि एग्जाम अच्छे से देना। भवगुरनीत ने कहा कि उसके पापा हमेशा यही कहते थे कि जिंदगी में अगर उन्हें कुछ हो जाए.तो कभी रोना मत।
बुधवार को जब शहीद कैप्टन चीमा की पार्थिव देह गांव पहुंची, तो उनकी पत्नी नवनीत कौर और मां सर्वजीत कौर की आंखों में आंसुओ के बीच पुरानी यादें ताजा हो रही थीं। शहीद की मां ने कहा कि उनके बेटे ने बहुत जहाज उड़ाए। कई बार जब वो गांव से गुजरता था, तो अपने हवाई जहाज को नीचे करता था। तब हम लोग छत पर खड़े होकर उसे हाथ हिलाते थे। जनवरी में जब वो गांव आया था, तब मुझे एक कोट देकर गया था।
जब शहीद ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा को अंतिम सलामी दी जा रही थी, उनकी बेटी 22 वर्षीय कुंजदीप कौर को खुशखबरी मिली कि उसका सिलेक्शन नेवी में हो गया है। बेटी यह खुशखबरी अपने पिता को नहीं सुना सकी। पिता के अंतिम संस्कार वाले दिन उसका मेडिकल था। इसलिए वो मंगलवार को ही अपने पिता को अंतिम सलामी देकर घर से निकल गई। उसका मन बहुत भारी था, लेकिन देशसेवा का जो जज्बा पिता ने उसके अंदर भरा था, वो किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहती थी।
डीसी मोहम्मद इशफाक ने कहा कि ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा जैसे जांबाज देश के रियल हीरो हैं। ये लोग ही देश को सुरक्षित रखते हैं।
शहीद ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा की एजुकेशन सैनिक स्कूल कपूरथला में हुई थी। उनकी अंतिम यात्रा में उसके 20 सहपाठी मौजूद थे। उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। चीमा के टीचर रहे एसएस अहलूवालिया और भूपिंदर सिंह(अब दोनों रिटायर्ड) ने कहा कि जीएस चीमा बहादुर था। वो बहुत अच्छा बॉक्सर भी था। एक बार वो अपनी हेलिकाप्टर लेकर स्कूल भी आया था। हेलिकॉप्टर पर तिरंगा लगाकर पूरे स्कूल का चक्कर लगाया था।
ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा के बारे में उनके गांववाले बताते हैं कि वे बहुत मिलनसार इंसान थे। गांववालों को कभी भी कोई परेशानी होती, तो वो सबसे आगे आकर मदद करते थे। वे गांव के हीरो थे।
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी को पटियाला विमानन क्लब के हवाईअड्डे से उड़ान भरने के तुरंत बाद 'पिपिस्ट्रेल वायरस एसडब्ल्यू 80' जो कि एक प्रशिक्षण विमान है, क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा की मौत हो गई।