गठरी में बंधी थीं लाशें...घटनास्थल पर यूं बिखरी पड़ी थीं अधजली किताबें, वैन में जिंदा जले थे 4 बच्चे
संगरूर, पंजाब. 15 फरवरी को स्कूली वैन हादसे के पीछे स्कूल की घोर लापरवाही सामने आई है। मैनेजमेंट ने कबाड़ से यह वैन खरीदी थी। इस हादसे में 4 मासूम जिंदा जल गए थे। पुलिस ने इस मामले में स्कूल के प्रिंसिपल और वैन के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है। यह हादसा स्कूल से महज 200 मीटर की दूरी पर हुआ था। इसमें 4 मासूम छात्र कमलप्रीत, आराध्या, नवजोत कौर और सिमरनजीत सिंह जिंदा जल गए थे। बच्चे वैन का लॉक तक नहीं खोल सकते थे। वे छटपटाते रहे और अंदर ही जलकर मर गए। डीसी घनश्याम थोरी ने बताया कि वैन 25 हजार रुपए में कबाड़ से खरीदी गई थी। यह वैन आरटीओ से भी पास नहीं थी। एसपी डॉ. संदीप सिंह गर्ग ने बताया कि इस मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए स्कूल के टीचरों और अन्य स्टाफ को छोड़ दिया गया है।
घटनास्थल पर अधजली पड़ीं बच्चों की ये किताबें हादसे की भयावहता को दिखाती हैं। जिस स्कूल की वैन में यह घटना हुई, उसमें करीब 250 बच्चे पढ़ते हैं। अब सभी बच्चों के परिजन दहशत में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे अपने बच्चों को कैसे स्कूल पहुंचाएं?
रविवार को जब हादसे में जान गंवाने वाले चारों बच्चों का लौंगोवाल के रामबाग में एक साथ दाह संस्कार हुआ, तो लोगों के कलेजे फट पड़े। कठोर दिल इंसान भी खुद को काबू में नहीं रख पाए। बच्चों को अंतिम विदाई देने पूरा गांव उमड़ पड़ा था। इस दौरान पूरा मार्केट बंद रहा।
चारों बच्चों की अंतिम यात्रा रविवार सुबह करीब 9.40 बजे निकाली गई। संगरूर के सिविल हॉस्पिटल से बच्चों के शव गठरी में बांधकर राम बाग संस्कार के लिए लाने पड़े। गठरी पर बच्चों के नाम लिखे हुए थे। नामों से पुकारकर गठरी परिजनों को सौंपी गई थीं। शव के नाम पर केवल कंकाल बचे थे। उन्हें देखकर बच्चों की मांएं भी पहले सहम गईं और फिर फूट-फूटकर रो पड़ीं।
सिमरनजीत(5) की दादी चरणजीत कौर अपने पोते के लिए नया सूट लेकर श्मशान पहुंचीं। बताते हैं कि बच्चे को नये कपड़ों का बहुत शौक था। इन बच्चों की मौत के बावजूद आरोपियों को मानों कुछ असर नहीं हुआ। ड्राइवर और प्रिंसिपल सेहत खराब होने का बहाना बनाकर हॉस्पिटल में भर्ती हो गए थे। हालांकि रविवार को जैसे ही उनकी छुट्टी हुई, पुलिस ने अरेस्ट कर लिया।
इस घटना ने लोगों को दहलाकर रख दिया था। बच्चे चीख रहे थे..लेकिन वैन ऐसी आग में घिरी थी कि कोई उन्हें बचाने की हिम्मत तक नहीं कर पाया।