कहीं का न रहा जीवन: हिलाकर रख देने वालीं इन तस्वीरें ने 1947 में भारत-पाक बंटवारे की यादों को किया जिंदा

Published : May 15, 2020, 12:03 PM IST

बठिंडा, पंजाब. न गठरी में रोटी और न जेब में पैसा! यह हालत हजारों प्रवासी मजदूरों की है, जो अपना घर-गांव छोड़कर दूसरे शहरों में रोजी-रोटी का सपना लेकर आए थे। कोरोना संक्रमण के चलते जब से लॉकडाउन हुआ है, उनका सपना तो टूटा ही, सांसें भी उखड़ने लगी हैं। देशभर में लाखों मजदूर हैं, जो उल्टे पांव अपने घरों को लौट रहे हैं। इनमें से हजारों को पैदल ही घर को लौटना पड़ा। कइयों को रोटी नसीब नहीं। मासूम बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा कि यह सब क्या हो रहा है? मां-बाप समझ नहीं पा रहे हैं कि वे घर पहुंच भी जाएंगे, तो वहां क्या करेंगे? मजदूरों का इस तरह घर लौटना सरकार की नाकामी को भी दिखाता है। अगर अकेल पंजाब की बात करें, तो करीब 11 लाख लोगों ने घर वापसी के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा रखा है। सरकार का दावा है कि वो सवा लाख लोगों को उनके घरों तक भेज चुकी है। बठिंडा में हजारों मजदूर बेकार होकर घर लौट पड़े हैं। सरकार इनके लिए न तो यहां खाने-रहने का इंतजाम कर सकी और न लौटने का सही प्रबंध। देखिए प्रवासी मजदूरों की घर वापसी से जुड़ीं कुछ मार्मिक तस्वीरें..

PREV
113
कहीं का न रहा जीवन: हिलाकर रख देने वालीं इन तस्वीरें ने 1947 में भारत-पाक बंटवारे की यादों को किया जिंदा

ये दो तस्वीरें पंजाब की हैं। खेलने-कूदने और मस्ती करने के दिनों में इन मासूमों को हजारों भीड़ के साथ बस चलते जाना है। छोटे बच्चे मां की गोद से चिपके हैं। जो थोड़ा-बहुत भी चल सकते हैं, वे पैर घिसटते हुए चले जा रहे हैं।

213

यह तस्वीर नई दिल्ली की है। यह मजदूरों के बच्चों की व्यथा खुद कह देती है।

313

यह तस्वीर लुधियाना से पैदल यूपी के हरदोई स्थित अपने गांव के लिए निकले मजदूरों की है। ये जब दिल्ली पहुंचे, तो एक बच्ची अपनी गुड़िया के साथ बैठी नजर आई। मां-बाप ने बच्ची को बहलाने के मकसद से गुड़िया पकड़ा दी, ताकि उसे भीड़ से घबराहट न हो।

413

लुधियाना से पैदल नई दिल्ली पहुंचे यूपी के मजदूर। जिन बच्चों के खेलने-कूदने के दिन हैं, उन्हें ऐसे बोझ ढोना पड़ रहा है।

513

यह तस्वीर नई दिल्ली की है। बेबस पिता के कंधे पर बैठा मायूस बच्चा।

613

यह तस्वीर गाजियाबाद की है। अपने घर जाने इंतजार में बैठे मजदूरों को रोकने एक वॉलिंटियर यूं पाइप लेकर खड़ा है, जैसे जानवरों को कंट्रोल करने आया हो।

713

यह तस्वीर भुवनेश्वर की है। इन मजदूरों को नहीं मालूम था कि जिंदगी ऐसे दिन भी दिखाएगी।

813

गाजियाबाद में दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर पुलिस से आगे जाने देने की मिन्नतें करता एक बेबस आदमी।

913

ये तस्वीरें सरकार की नाकामी को दिखाती हैं। भला कौन इस तरह मीलों पैदल चलकर अपने घर जाना चाहेगा?

1013

साइकिल पर बच्चों और गृहस्थी को समेटकर घर की ओर मायूस कदमों से लौटता प्रवासी मजदूर।

1113

यह तस्वीर लखनऊ की है। डम्पर में किसी सामान की तरह ठुंसकर बैठे मजदूर।

1213

यह तस्वीर नई दिल्ली की है। आंधी और बारिश के बीच भी मजदूरों बेबस होकर आगे बढ़ते रहे।
 

1313

पंजाब के बठिंडा में रेलवे स्टेशन के बाहर ट्रेन के इंतजार में ऐसी मची अफरा-तफरी कि बची-खुची गृहस्थी भी बिखर गई।

Recommended Stories