कमलजीत के खेतों में कई ऐसे पेड़ भी मिल जाएंगे, जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन्होंने ऐसे पेड़ों को संरक्षित किया हुआ है। जैसे-हरड़, करोदा, जकरंडा, कनेर, जमालघोटा, महुआ, दालचीनी, कचनार, पलाश, ईमली, कढ़ी पत्ता आदि। इनका 'सोहनगढ़ नैचुरल फार्म' रिसर्च का विषय बन गया है। कमलजीत सिंह के कहत हैं कि अगर लोग जैविक खेती को बढ़ावा दें, तो इससे न सिर्फ खेती बचेगी, बल्कि लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ नहीं होगा। आगे पढ़ें...MBA पास इस युवक ने किसानी के लिए छोड़ी अच्छी-खासी जॉब और अब कमा रहा लाखों रुपए