सुबह उठने से ब्रेकफास्ट करने तक, ये है Google CEO सुंदर पिचाई का मॉर्निंग रूटीन, देखें सिंपल लाइफ

टेक डेस्क. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि चांदी का चम्मच लेकर जन्म लेने वालों को सफलता आसानी से मिलती है, लेकिन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने सफलता की एक अलग कहानी गढ़ी है, जिसका धनी पृष्ठभूमि या पारिवारिक धन की विरासत से कोई लेना-देना नहीं है। एक टेक मैगजिन को दिए इंटरव्यू में सुंदर पिचाई ने इस बात का खुलासा किया की वो बहुत अच्छी मॉर्निंग रूटीन को फॉलो करते हैं। यही कारण है कि वह 46 की उम्र में भी काफी फिट दिखते हैं। साधारण वयक्तित्व से दिखने वाले दिखने वाले सुंदर पिचाई दुनिया में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले सीईओ में से एक हैं। क्या आपको पता है उनकी लाइफ स्टाइल बहुत ही साधारण है। आइए आपको बताते हैं की सुंदर पिचाई की दिनचर्या क्या है .

Anand Pandey | / Updated: Jun 10 2022, 07:11 AM IST
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सुबह उठने से ब्रेकफास्ट करने तक, ये है Google CEO सुंदर पिचाई का मॉर्निंग रूटीन, देखें सिंपल लाइफ

इतने बजे सुबह उठ जाते हैं पिचाई 

सुंदर पिचाई ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह सुबह जल्दी उठने वालों में से नहीं हैं। वह रोजाना सुबह 6:30 से 7 बजे के बीच में उठते हैं।

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ऐसे होती है दिन की शुरुवात 

उनके दिन की शुरुआत न्यूज पेपर पढ़ने से होती है। वो दी वॉल स्ट्रीट जर्नल (The Wall Street Journal) पढ़ते हैं जबकि न्यूयार्क टाइम्स को अपने फोन में पढ़ते हैं। वो ब्रेकफास्ट के दौरान ही न्यूज पढ़ने का काम करते हैं। 
 

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चाय के हैं काफी शौकीन  

ब्रेकफास्ट में वो टोस्ट के साथ एग्स खाते हैं और चाय पीते हैं। सुंदर पिचाई रोजाना नाश्ते में ऑमलेट खाते हैं। उनके हिसाब से सुबह का पहला खाना हेल्दी होना चाहिए ताकि आप पूरे दिन एर्नेटिक फील करें।

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ऑफिस में करते हैं वॉक

पिचाई को वॉक करना काफी पसंद है। वो अपने ऑफिस में वॉक अक्सर वॉक करते हुए नजर आते हैं। कई बार पिचाई मीटिंग के दौरान भी चलते रहते हैं उनका मानना है कि चलते समय दिमाग में अच्छे आइडिया आते हैं। 
 

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सुंदर पिचाई की सैलरी 

2004 में कंपनी में शामिल होने के बाद से सुंदर पिचाई Google का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। उन्हें वर्ष 2015 में Google सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हर साल 2015 और 2020 के बीच पिचाई ने $ 1 बिलियन से अधिक का वेतन अर्जित किया है जो कि भारतीय रूपए में 100 करोड़ है । रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि पिचाई का मूल वेतन $ 2 मिलियन (लगभग 20 लाख रुपए) है। इसके अतिरिक्त, Google CEO बोनस और स्टॉक अनुदान प्राप्त करता है। 
 

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ऐसे बने गूगल से सीईओ 

2018 में फोर्ब्स द्वारा दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सीईओ में से एक के रूप में लेबल किया गया, सुंदर पिचाई ने एक मैटेरियल्स  इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया और 2004 में एक प्रबंधन कार्यकारी के रूप में Google में शामिल हो गए। फिर वह कंपनी के प्रोडक्ट चीफ बने और बाद में, Google के CEO, वह Google की मूल कंपनी Alphabet Inc. के सीईओ भी बने।
 

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देरी से करते हैं लंच

पिचाई ऑफिस में मीटिंग में कई बार लेट हो जाने से ये टाइम पर लंच नहीं कर पाते हैं .ऑफिस के काम के बाद वो शाम को अपनी फैमली के साथ टाइम स्पेंड करते हैं। 

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कभी- कभी जाते हैं जिम 

पिचाई सुबह में ही जिम नहीं करते है, लेकिन बाद में दिन में इसके लिए कुछ समय निकालने की कोशिश करते है। उनका कहना है कि हेल्थ का सबको ध्यान रखना चाहिए। 
 

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बचपन में नहीं पसंद थी मिठाई 

एक बच्चे के रूप में वह मसालेदार सांभर को पायसम नामक मिठाई में मिलाते थे क्योंकि उन्हें वास्तव में मिठाई पसंद नहीं थी।

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ये था पिचाई का पहला फ़ोन 

पिचाई के घर में 20 से 30 स्मार्टफोन हैं और वह उनमें से ज्यादातर का इस्तेमाल अनेकों टेस्टिंग के लिए करते हैं। उन्होंने अपना पहला स्मार्टफोन 2006 में खरीदा था लेकिन उनका पहला मोबाइल फोन 1995 में मोटोरोला स्टार्टैक था। 
 

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एक आम परिवार में हुआ था जन्म

एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सुंदर पिचाई को युवावस्था में अपने माता-पिता और दो भाइयों के साथ दो कमरे के अपार्टमेंट में रहना पड़ा। जगह की कमी के कारण पिचाई और उनके भाइयों को लिविंग रूम के फर्श पर सोना पड़ा।

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ये हैं इनकी पत्नी 

किसी भी अन्य पेशेवर की तरह, पिचाई अपने करियर के दौरान मिले कई प्रस्तावों से बहुत प्रभावित हुए। लेकिन यह उनकी पत्नी अंजलि थी, जिन्हें IIT खड़गपुर में पिचाई से प्यार हो गया, जिन्होंने उन्हें Google में बने रहने की सलाह दी। उनके दो बच्चे हैं - काव्या और किरण।

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घर की ये थी हालात

पिचाई के पिता घर में एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे, क्योंकि उनकी मां को उनकी और उनके भाइयों की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी। अपने पिता की अपर्याप्त आय के कारण, वे अपना बहुत सारा खर्च नहीं कर सकते थे और कभी भी फोन या रेफ्रिजरेटर जैसी शानदार वस्तुओं का खर्च नहीं उठा सकते थे।

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पहली बार पिता ने कर्ज लेकर खरीदा था प्लेन का टिकट

अंत में भारत में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में स्टैनफोर्ड छात्रवृत्ति प्राप्त की। जबकि हवाई किराए की लागत उनके पिता की वार्षिक आय से अधिक थी, उनके पिता ने कर्ज लिया और अपने बेटे के हवाई टिकट खरीदने के लिए अपनी पारिवारिक बचत का एक-एक पैसा छोड़ दिया। संभवत: यह भी पहली बार था जब पिचाई हवाई जहाज में बैठे थे।

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अमेरिका में भी उठाई ये तकलीफें

संयुक्त राज्य अमेरिका में, पिचाई के पास एक कठिन समय था, खर्चों से गुजर रहा था और अपने सिरों को पूरा कर रहा था। यहां तक कि उन्हें अपने माता-पिता तक पहुंचने में भी मुश्किल हुई क्योंकि फोन कॉल की कीमत $ 2 प्रति मिनट से अधिक थी, जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।

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