चीन ने अंतरिक्ष से कैसे दागी मिसाइल, इस ब्रम्हास्त्र से बचना है नामुमकिन ! भारत कैसे करेगा ड्रैगन का मुकाबला

टेक डेस्क। चीन (China) ने अपने बेहद खतरनाक इरादे जाहिर कर दिए हैं। चीन ने अंतरिक्ष से टारगेट करने वाली  hypersonic missile  का परीक्षण किया है। ये परीक्षण एक हद तक सफल भी रहा है। ये मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है, वहीं दुनिया के किसी भी कोने में ये मिसाइल बिना ट्रेक किए मार कर सकती है।  ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने शनिवार को बताया कि चीन ने यह परीक्षण अगस्त महीने में ही किया है। देखें भारत के पास इसका क्या जवाब है, क्या hypersonic missile को इंटरसेप्ट किया जा सकता है...

Asianet News Hindi | Published : Oct 18, 2021 8:27 AM IST / Updated: Oct 18 2021, 02:17 PM IST

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चीन ने अंतरिक्ष से कैसे दागी मिसाइल, इस ब्रम्हास्त्र से बचना है नामुमकिन ! भारत कैसे करेगा ड्रैगन का मुकाबला

कई स्रोतों का हवाला देते हुए अखबरा की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजिंग ने अगस्त में एक परमाणु-सक्षम मिसाइल का परीक्षण किया है, जो अपने टारगेट से केवल 32 किलोमीटर की दूरी पर गिरा है। इससे पहले चीन ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल को स्पेस में भेजा था जिसने पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाया इसके बाद तय समय और टारगेट पर इसने निशाना साधा, आश्चर्य़जनक तथ्य ये था कि ये मिसाइल ध्वनि से तकरीबन पांच गुना तेजी से अपने लक्ष्य की और बढ़ी। (फोटो- सिम्बॉलिक)

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फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से कहा गया है कि हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन को लॉन्ग मार्च रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में  जाया गया था। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि चीन अपने परीक्षणों का औपचारिक ऐलान करता रहा है। है लेकिन अगस्त महीने में हुए इस हाइपरसोनिक परीक्षण को चीन ने सीक्रेट रखा है। (फोटो- सिम्बॉलिक)

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वहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हाइपरसोनिक हथियारों पर चीन की आक्रामक नीति अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को भौचक्की रह गई हैं। बता दें हाइपरसोनिक मिसाइल पर अमेरिका, रूस और कम से कम पांच अन्य देश काम कर रहे हैं। लेकिन चीन की इस टेक्नालॉजी ने अमेरिका को चिंता में डाल दिया है।  (फाइल फोटो) 

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किस तरह काम करती हैं hypersonic missiles
बैलिस्टिक मिसाइलों की तरह हाइपरसोनिक मिसाइलें ही परमाणु हथियार पहुंचाने में सक्षम होती हैं। इसकी स्पीड इसे बेहद खतरनाक बनाती है। ये आवाज की रफ्तार से पांच गुना से अधिक तेजी से मूव करती हैं। बैलिस्टिक मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक Arc में अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान भरती हैं, जबकि हाइपरसोनिक मिसाइलें वायुमंडल के निचले हिस्से में एक प्रक्षेपवक्र (trajectory) पर चक्कर लगाती हैं। ये अपने टारगेट पर बहुत तेजी से पहुंचती हैं। (फोटो- सिम्बॉलिक)

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ब्रम्हास्त्र हैं हाइपरसोनिक मिसाइल
 हाइपरसोनिक मिसाइल कहीं भी और किसी भी टारगेट को भेद सकती हैं। दुश्मनों को इसे ट्रैक करना और इससे बचना बेहद मुश्किल है। हालांकि अमेरिका-रुस जैसे देशों ने क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों से बचने का तरीका खोज लिया है लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइल को ट्रैक करना और नीचे गिराना अभी भी नामुमकिन है। (फोटो- सिम्बॉलिक)

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भारत के पास है सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
देश के पास रूस के सहयोग से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस मौजूद है।  ब्रह्मोस तीनों सेनाओं को सौंपी भी जा चुकी है। ब्रह्मोस की मारक गति आवाज से 2.8 गुना अधिक है, वहीं चीन ने तकरीबन इस दुगुनी रफ्तार की हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है।  (फाइल फोटो)

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 इससे पहले  ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज गति से जाने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल थी। ब्रह्मोस मिसाइल 300 किमी की दूरी पर खड़े दुश्मन को ढेर सकती है। ये कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, लड़ाकू विमान से या जमीन से भी दागा जा सकता है। (फाइल फोटो)

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वहीं दुश्मन की हमलावर बैलिस्टिक मिसाइलों को आसमान में ही मार गिराने वाली एंटी मिसाइल प्रणालियों- अमेरिकी थाड और पैट्रियट तथा रूसी एस-400 का विकास हो चुका है, वहीं हाइसुपसोनिक मिसाइल को भेदने वाला सिस्टम अभी नहीं बना है। (फोटो- सिम्बॉलिक)

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