घसीटकर पहाड़ पर ले गए, पीटा-नाक कान काट दिए, फिर पति ने चेहरा कुचला, कहानी जिसने दुनिया को झकझोरा था...

काबुल. अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान की क्रूरता की कहानियां खूब सुनने को मिल रही है। अच्छा खाना न बनाने पर महिलाओं को गोली मारने से लेकर ताबूत में बंद कर महिलाओं की सप्लाई तक सब तरह की खबर आ रही है। इस बीच तालिबान की एक ऐसी करतूत के बारे में बताते हैं जिसे सुनकर आपको इस आतंकी संगठन से नफरत हो जाएगी। कहानी है 14 साल की एक अफगान महिला की, जिसने शादी करने से मना किया तो उसकी नाक ही काट दी। तस्वीरों के जरिए दहशत की कहानी
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 25, 2021 11:43 AM IST / Updated: Sep 10 2021, 10:53 AM IST

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घसीटकर पहाड़ पर ले गए, पीटा-नाक कान काट दिए, फिर पति ने चेहरा कुचला, कहानी जिसने दुनिया को झकझोरा था...

कहानी है अफगान महिला आयशा की। तालिबान ने उसके साथ साल 2001 में जो किया, उसे पूरी दुनिया ने देखा। तालिबान लड़ाकों ने आयशा के चेहरे को बिगाड़ दिया। उसे इतना मारा की चेहरा बुरी तरह जख्मी हो गया। उस वक्त आयशा की उम्र 18 साल थी। 

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आयशा को पांच महीने जेल में रहने के बाद आखिरकार अपने परिवार के पास वापस छोड़ दिया गया, लेकिन आधी रात से ठीक पहले तालिबान लड़ाके  उसके घर आ गया। फिर उसे उसके गांव के पास के पहाड़ों में घसीट कर ले गए। उसे पीटा गया और नाक और कान काट दिया गया। उसके पति ने उसका चेहरा कुचल दिया। 

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आयशा की कहानी ने दुनिया को चौंका दिया, जब वह पहली बार 2010 में टाइम पत्रिका के कवर पर फोटो छपी। ये एक ऐसी कहानी थी, जो बता रही थी कि कैसे साल 2001 में सत्ता से जाने के बाद भी तालिबान क्रूरता कर रहा था।

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2010 में आयशा की तस्वीर छापते हुए टाइम मैग्जीन ने सवाल पूछा कि "क्या होता है अगर हम अफगानिस्तान छोड़ दें?" अब तालिबान ने एक बार फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। फिर से लोगों को आयशा की कहानी याद आ रही है। 

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आयशा के पिता ने बताया था कि जब वह सिर्फ 12 साल की थी। तब भी तालिबानी लड़ाकों ने शादी के लिए कहा था। फिर 14 साल की हुई तो भी शादी के लिए मजबूर किया। चार साल तक तालिबानी लड़ाके के साथ रहने के बाद भागने की कोशिश की। लेकिन एक धार्मिक सजा सुनाने वाले जज ने उसे पकड़ लिया और सजा सुनाई। 

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आयशा को पांच महीने जेल में रहने के बाद आखिरकार अपने परिवार के पास वापस छोड़ दिया गया, लेकिन आधी रात से ठीक पहले तालिबान लड़ाके  उसके घर आ गया। फिर उसे उसके गांव के पास के पहाड़ों में घसीट कर ले गए। उसे पीटा गया और नाक और कान काट दिया गया। उसके पति ने उसका चेहरा कुचल दिया। 

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इसके बाद आयशा को मरने के लिए पहाड़ पर छोड़ दिया। वह जैसे तैसे रेंगते हुए अपने दादाजी के घर पहुंची, लेकिन उन्होंने मदद से इनकार कर दिया। इसके बाद अमेरिकी कैंप ने आयसा की मदद की। वहां से उसने अफगानिस्तान से भागने का फैसला किया। फिर अमेरिका चली आई और सर्जरी कराया। 

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आइशा को एक अफगान-अमेरिकी कपल ने गोद लिया था। अब वह मैरीलैंड में रहती है। उसकी पूरी सर्जरी में 12 साल लग गए। 2010 में तालिबान के बारे में आयशा ने कहा था कि उसकी कहानी महिलाओं के खिलाफ क्रूरता की कई कहानियों में से एक है।

तालिबान के राज में महिलाओं की जिंदगी नरक जैसी हो जाती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि 12 साल से कम उम्र की लड़कियों को भी शादी के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं महिलाओं को टाइट कपड़े पहनने पर गोली मार दी जा रही है।

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