अफगानिस्तान में नर्क हुई महिलाओं की जिंदगीः किसी ने छत से कूदकर दे दी जान-कोई प्रेग्नेंसी में भागा

काबुल. अफगानिस्तान में तालिबान के तांडव ने महिला की जिंदगी फिर से नर्क बना दी है। उन्होंने अफगानिस्तान की लड़कियों को सेक्स स्लेव बनाने के लिए लिस्ट मंगाई है। यहां महिलाओं की हालत ये है कि वे बिना किसी पुरुष के घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं। अगर उन्हें पढ़ाई करनी है तो किसी महिला टीचर से ही पढ़ सकती हैं। अगर किसी महिला ने इन नियमों की अनदेखी की तो उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी। तस्वीरों में देखें, कैसी है महिलाओं की हालत...
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 12, 2021 8:19 AM IST / Updated: Aug 12 2021, 02:29 PM IST

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अफगानिस्तान में नर्क हुई महिलाओं की जिंदगीः किसी ने छत से कूदकर दे दी जान-कोई प्रेग्नेंसी में भागा

अफगानिस्तान की हालिया रिपोर्ट बताती है कि जहां भी तालिबान पहुंचा वहां की महिलाओं की जिंदगी नर्क सी बना दी है। महिलाओं और लड़कियों की ऐसी हालत है कि वे पैर की उंगलियों को भी खुला नहीं छोड़ सकती है। 
 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान लड़ाके लड़कियों को सेक्स स्लेव बनाने के लिए घर-घर जा रहा है। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान लड़ाके स्थानीय लड़कियों से जबरदस्ती शादी कर रहे हैं।
 

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22 साल की फातिमा सरकारी बलों और तालिबान आतंकियों के बीच गोलीबारी में फंसी थी। वह मलिस्तान जिले की रहने वाली थी। एक दिन उसे पता चला कि तालिबान लड़ाके उसके शहर की तरफ बढ़ रहे हैं। वह सात महीने की गर्भवती है।

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फातिमा और उसका परिवार डरा हुआ था। उसे एक ही डर था कि अगर तालिबान ने उनके गांव पर कंट्रोल कर लिया तो वे फातिमा को अपने साथ ले जाएंगे। क्योंकि वे हमेशा ऐसा ही करते हैं। फिर वो दिन भी आया, जब तालिबान उसके गांव में आए। फातिमा ने बताया कि वे गांव की एक लड़की को अपने साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन उसे छत से कूदकर अपनी जान दे दी। 
 

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फातिमा जैसे तैसे वहां से भाग निकली। उसने बताया कि मैं अपने परिवार के साथ निकल गई। गजनी शहर पहुंचने के लिए पहाड़ों में एक दिन और रात चलती रही। वहां एक ड्राइवर को काबुल लाने के लिए किराए का तीन गुना भुगतान किया। फातिमा ने बताया कि उसके गांव के करीब 50-60 परिवार थे, जो घर छोड़कर भाग गए।
 

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अफगानिस्तान के गांवों और कस्बों में तालिबान के आगे बढ़ने की खबरों ने महिलाओं में भय फैला दिया है। महिलाओं ने काबुल और हेरात जैसे शहरों में शरण ली है। फातिमा और उसका परिवार काबुल में पार्कों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर सोकर जिंदगी बसर कर रहे हैं।
 

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रहीमा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उसकी सात बेटियां है। वह भी अफगानिस्तान के बदलते हालात से डरी हुई हैं। उसका कहना है कि मुझे अपनी बेटियों के भविष्य की चिंता है। मैंने अपने जीवन में शांति नहीं देखी है। अब मुझे चिंता है कि मेरी बेटियों को भी कभी शांति नहीं मिलेगी। 

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