Baba ka dhaba के मालिक ने की आत्महत्या की कोशिश, जानें 'शून्य' से 'शिखर' फिर 'शून्य' पर पहुंचने की पूरी कहानी

नई दिल्ली. दिल्ली में 'बाबा का ढाबा' के मालिक कांता प्रसाद ने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। उन्होंने हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। कांता प्रसाद ने आत्महत्या की कोशिश क्यों की ये नहीं पता, लेकिन उनकी जिंदगी जहां से शुरू हुई, फिर से उसी के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 18, 2021 10:05 AM IST

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Baba ka dhaba के मालिक ने की आत्महत्या की कोशिश, जानें 'शून्य' से 'शिखर' फिर 'शून्य' पर पहुंचने की पूरी कहानी

80 साल के कांता प्रसाद की जिंदगी यू-ट्यूबर के एक वीडियो ने बदल दी थी। जहां उनका छोटा सा ढाबा था, उसे के पास उन्होंने छह महीने पहले एक नया रेस्टोरेंट खोला था। 
 

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कांता प्रसाद का फूड स्टॉल बाबा का ढाबा अक्टूबर 2020 में तब सुर्खियों में आया जब एक ब्लॉगर ने कांता प्रसाद का रोते हुए एक वीडियो बना लिया था। वीडियो में कांता प्रसाद बता रहे थे कि किस तरह से कोरोना महामारी में उनका धंधा चौपट हो गया। 

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वीडियो में कांता प्रसाद ने रोते हुए अपने बनाए हुए खाने दिखाए। जब उससे पूछा गया कि उन्होंने कितना कमाया है तो उन्होंने 10 रुपए के कुछ नोट दिखाए और फिर से रोने लगे। उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन के बाद से जीवन बहुत कठिन हो गया है।

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कांता प्रसाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में उनकी पत्नी बीमा देवी भी थीं। इसके बाद वीडियो को लेकर बॉलीवुड सितारों, क्रिकेटरों और यहां तक ​​कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रतिक्रिया दी।

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साल 1990 में कांता प्रसाद और पत्नी ने मिलकर बाबा का ढाबा खोला। वे पराठों के अलावा घर का बना खाना देने का दावा करते थे। एक थाली की कीमत 50 रुपए से कम थी। कोरोना महामारी में लॉकडाउन लगा तो धीरे-धीरे उनका धंधा चौपट हो गया। बिक्री कम हो गई। 

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फिर कांता प्रसाद की जिंदगी में ब्लॉगर गौरव वासन की एंट्री हुई। उन्होंने कांता प्रसाद और उनकी पत्नी का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला। रातों-रात ढाबा लोकप्रिय हो गया।

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लेकिन जल्द ही कांता प्रसाद और गौरव वासन में इकट्ठा पैसे को लेकर विवाद हो गया। अभी हाल ही में गौरव वास ने एक फोटो ट्वीट कर बताया कि उनमें जो भी विवाद था वो खत्म हो गया। 

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कांता प्रसाद ने दिसंबर में एक नया रेस्तरां खोलने का फैसला किया, जहां शेफ और वेटर्स भी रखें गए। लेकिन शुरुआती धूमधाम के बावजूद धंधा नहीं चला। तीन महीने के भीतर ही रेस्तरां बंद हो गया। 

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प्रसाद ने कहा, मेरी महीने की कमाई कभी भी 40,000 रुपए से अधिक नहीं हुई, जबकि खर्च 100,000 रुपए था। उन्होंने कहा, अगर मुझे पता होता कि ये इतना मुश्किल है तो मैंने पहले कभी रेस्तरां नहीं खोलता।

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रेस्तरां में घाटा होने पर वे वापस अपने पुराने फूड स्टॉल पर लौट आए। रेस्तरां बंद कर दिया। कांता प्रसाद कहते हैं कि मैं फूड स्टॉल से अच्छी कमाई कर लेता हूं। यहां मैं एक दिन में कम से कम 1,300-1,400 रुपए कमाता हूं। 

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उन्होंने कहा, लोग जानना चाहेंगे कि हमने उनके पैसे का क्या किया। हमने कुछ घर बनाने में खर्च किया, कुछ रेस्तरां में और कुछ हमने अपने भविष्य के लिए बचाए हैं। हम जहां हैं वहीं संतुष्ट हैं।
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