भगवान कृष्ण ने हमेशा चाहा कि कौरव शांति का मार्ग अपना लें, क्योंकि यही विकास का रास्ता है। वैसे तो कौरव और पांडव दोनों चाहते थे कि युद्ध से ही नतीजा निकले, मगर कृष्ण ने हमेशा चाहा कि मामला शांति से निपट जाए। मगर दोनों ने नहीं माना और भयानक युद्ध हुआ, जिसमें बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ी।