भगवान कृष्ण के जीवन से सीखने लायक हैं ये 10 बातें, अपनाए तो कभी नहीं होंगे निराश

ट्रेंडिंग डेस्क। श्रीमद्भगवत में भगवान श्रीकृष्णा ने  जीवन जीने के तरीके को विभिन्न तरह से बताया है। कर्म से ईश्वर तक जाने वाले सभी मार्गों का उल्लेख उन्होंने किया है। अगर देखें तो कर्म हर इंसान को करना होता है और इसका विकल्प नहीं। गीता में बताया गया है कि मन को स्थिर रखते हुए और दिमाग को शांत करके बुरी से बुरी परिस्थितियों से भी उबरा जा सकता है। भगवान कृष्ण को यदि व्यवहार और जीवन में उतार लिया जाए तो जीवन सध जाता है और सफलता जरूर मिलती है। आइए तस्वीरों के जरिए ऐसी बातें जानते हैं, जो भगवान कृष्ण से सीखने लायक हैं। 

Asianet News Hindi | / Updated: Aug 17 2022, 07:20 AM IST

110
भगवान कृष्ण के जीवन से सीखने लायक हैं ये 10 बातें, अपनाए तो कभी नहीं होंगे निराश

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म शुरू से संघर्षों से भरा रहा है। उनका जन्म कारागृह में हुआ। पैदा होने के बााद यमुना पार गोकुल ले जाया गया। इसके बाद कोई न कोई जान का दुश्मन बना रहा। यहां तक कि देह त्यागने तक वे संघर्षों में जिए, मगर हर परिस्थिति को जीते और जीतते रहे। 

210

बचपन से माखन और मिश्री के शौकीन रहे। अब भी उन्हें यही भोग लगता है। आहार अच्छा होना चाहिए। शुद्ध होना चाहिए और बल तथा बुद्धि देने वाला होना चाहिए। तभी खुद को, परिवार को और समाज को सही दिशा दी जा सकती है। 

310

भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा-दीक्षा उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में हुई। वैदिक ज्ञान के अलावा विभिन्न कलाएं सीखे और 64 दिन में 64 कला के ज्ञाता हुए। यानी शिक्षा सिर्फ किताबी न हो, रचनात्मक भी हो। 

410

रिश्ते यदि निभाना सीखना हो, तो कृष्ण जी से सीखें। जीवनभर कभी उन लोगों का साथ नहीं छोड़ा, जिन्हें अपना मान लिया। अर्जुन, सुदामा या उद्धव सभी का साथ उन्होंने जीवनभर निभाया। रिश्तों की अहमियत उन्हें बखूबी पता थी। 

510

भगवान श्रीकृष्ण ने हमेशा नारी का सम्मान किया और बेहतर समाज के लिए वे इसे जरूरी मानते थे। राक्षस नरकासुर, जिसने अपने महल में 16 हजार 100 महिलाओं को कैद कर रखा था और सबसे बारी-बारी बलात्कार करता था। उसे मारकर कृष्ण जी ने महिलाओं को मुक्त कराया। इसके अलावा उन्हें अपनाया और पत्नी का दर्जा दिया। 

610

बहुत कम लोग जानते हैं कि जिस दुर्योधन की मौत भगवान कृष्ण की वजह से हुई, असल में दोनों समधी थे। कृष्ण जी के पुत्र सांब का विवाह दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा से हुआ। दोनों के मतभेद इस पीढ़ी के रिश्ते पर कभी नहीं पड़ने दिया। 

710

भगवान कृष्ण ने हमेशा चाहा कि कौरव शांति का मार्ग अपना लें, क्योंकि यही विकास का रास्ता है। वैसे तो कौरव और पांडव दोनों चाहते थे कि युद्ध से ही नतीजा निकले, मगर कृष्ण ने हमेशा चाहा कि मामला शांति से निपट जाए। मगर दोनों ने नहीं माना और भयानक युद्ध हुआ, जिसमें बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ी। 

810

कृष्ण जी दूरदृष्टा थे। वे हमेशा भविष्य की ओर देखते रहते थे और इसकी तैयारी भी करते रहते थे। जुए में हारने के बाद पांडवों को जब वनवास हुआ, तब कृष्ण ने पांडवों को समझाया कि इस समय को सोच कर दुखी न हो और भविष्य की ओर देखो, सोचों और योजना निर्धारित करो। 

910

पांडव राजसूय यज्ञ कर रहे थे। मगर दुष्ट लोग इसे पूरा नहीं होने देना चाहते थे। शिशुपाल भी इनमें से एक था, जो कृष्ण जी का छोटा भाई था। वह अपशब्द बोलता रहा। दुर्योधन जब तब कृष्ण जी का अपमान करता रहा था, मगर कृष्ण जी हमेशा शांत रहे। 

 

1010

कृष्ण जी ने अपनी बुद्धिमानी से दुनियाभर के राजाओं पर जीत हासिल की। मगर कभी उन्होंने खुद शासन नहीं किया। बुरे राजाओं को हराकर उसकी जगह सिंहासन पर अच्छे चरित्र के लोगों को बिठाते थे। वे लीडर की तरह रहते थे, मगर श्रेय लेने कभी आगे नहीं आते। 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos