क्या आप जानते हैं अखाड़ों का इतिहास, साधु-संतों के हाथ में क्यों रहता है हथियार, नियम-कानून भी होते हैं अलग

ट्रेंडिंग डेस्क. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई है। गिरी का शव प्रयागराज के उनके बाघंबरी मठ में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला था। महंत के कमरे से 6 से 7 पेज का सुसाइड नोट भी मिला है। नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़ा के सचिव भी थे। अखाड़ों को हिन्दू धर्म में एक मठ के रूप में माना जाता है हालांकि मठ अलग होते हैं। हर अखाड़े के एक प्रमुख होता है तो इनके अपने नियम और कानून भी होते हैं। क्या आप जानते हैं हमारे देश में कितने अखाड़े हैं और इन अखाड़ों का क्या इतिहास है। आइए जानते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 21, 2021 7:21 AM IST / Updated: Sep 21 2021, 01:15 PM IST
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क्या आप जानते हैं अखाड़ों का इतिहास, साधु-संतों के हाथ में क्यों रहता है हथियार, नियम-कानून भी होते हैं अलग

कब हुई अखाड़ों की शुरुआत
ऐसा कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने सबसे पहले अखाड़ों की शुरुआत की थी। अखाड़ों की शुरुआत करने का एक कारण ये भी दिया जाता है कि बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए देश में इसकी शुरुआत की गई थी। इसके पीछे का मकसद किसी धर्म का विरोध करना नहीं था बल्कि हिंदू संस्कृति को बचाने के उदेश्य से इसकी स्थापना की थी। 

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अखाड़ों की क्या है पहचान
हरअ अखाड़े का अलग एक जंडा होता है। यूं तो सभी अखाड़ों में रीति रिवाज अलग-अलग होते हैं लेकिन शाही सवारी, हाथी-घोड़े की सजावट, घंटा-नाद, नागा-अखाड़ों के करतब और तलवार और बंदूक का खुले आम प्रदर्शन यह अखाड़ों की मुख्य पहचान मानी जाती है।
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अब कितने अखाड़े हैं
शुरुआत में 4 ही अखाड़े थे लेकिन समय के साथ ये बढ़ते चले गए। अखाड़ों में वृद्धि का कारण वैचारिक मतभेद बताया जाता है। लेकिन अभी इनकी संख्‍या 14 हो चुकी है। वर्ष 2019 में जब प्रयागराज में कुंभ का आयोजन हुआ था तो किन्‍नर अखाड़े को आधिकारिक रूप से शामिल करने के बाद अखाड़ों की संख्‍या 14 हो गई थी।
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शस्त्र लेकर क्यों चलते हैं
अखाड़ों के साधु-संतों के पास हथियार भी होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो शास्त्र से नहीं मानते, उन्हें शस्त्र से मनाने के लिए अखाड़ों का जन्म हुआ। बताया जाता है कि अखाड़ों ने स्वतंत्रता संघर्ष में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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कितने तरह के अखाड़े होते हैं
परंपरा के मुताबिक शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं। शैव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े हैं।  वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के तीन-तीन अखाड़े हैं। जबकि 14वें अखाड़े के रूप में किन्नर अखाड़े को शामिल किया गया है। 
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कुंभ और अखाड़े
ज्यादातर सभी अखाड़ों के साधु-संत कुंभ में ही दिखाई देते हैं। हिंदू धर्म में कुछ ऐसी प्रमुख तिथियां होती हैं जिन पर गंगा में स्‍नान करना शुभ माना जाता है। इन सभी तिथियों पर कुंभ में साधु संत स्‍नान करते हैं, इसलिए इसे शाही स्‍नान भी कहा जाता है।
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सभी के होते हैं अलग-अलग कानून
कुंभ में शामिल होने वाले सभी अखाड़े अपने अलग-नियम और कानून से चलते हैं। इन नियमों को तोड़ने वाले साधु-संतों को सजा भी दी जाती है। अगर किसी अखाड़े के संत द्वारा कोई गलत काम किया जाता है तो उसे अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है। जैसे ही वह अखाड़े से निकाला जाता है उसमें भारतीय संविधान के अनुसार कानून लागू हो जाते हैं।
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कौन किसकी भक्ति करता है
शैव अखाड़े शिव की आराधना करते हैं। वैष्णव अखाड़े के साधु-संत भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। जबकि उदासीन पंथ के साधु-संत  पंचतत्व यानी धरती, अग्नि, वायु, जल और आकाश की उपासना करते हैं। 

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