मुंह पर दाने और शरीर का बुरा हाल...कोरोना के बाद अमेरिका में Monkeypox का खतरा? जानें कितना डेंजर है

कोरोना महामारी के बीच अमेरिका में मंकीपॉक्स का खतरा मंडरा रहा है। अमेरिका के सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने 27 राज्यों में 200 से अधिक लोगों में मंकीपॉक्स के संभावित खतरे को देखने के लिए निगरानी करने का फैसला किया है। वे सभी 200 से अधिक लोग उस व्यक्ति के संपर्क में थे, जिसमें मंकीपॉक्स पाया गया। वह हाल ही मं नाइजीरिया से टेक्सास लौटा था, जिसमें बाद वो बीमार हुआ। जांच हुई तो पता चला कि वो मंकीपॉक्स से संक्रमित है। हालांकि अभी एक मरीज के अलावा कोई और केस सामने नई आया है लेकिन एक्सपर्ट पूरी सावधानी बरत रहे हैं। जानें क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण...

Asianet News Hindi | Published : Jul 21, 2021 5:29 AM IST / Updated: Jul 21 2021, 11:05 AM IST

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मुंह पर दाने और शरीर का बुरा हाल...कोरोना के बाद अमेरिका में Monkeypox का खतरा? जानें कितना डेंजर है

30 जुलाई तक साथ रहेंगे ऑफिसर
स्टेट और लोकल हेल्थ ऑफिसर उन 200 लोगों के साथ हैं जो मरीज के डायरेक्ट या इनडायरेक्ट संपर्क में थे। प्रशासन का कहना है कि 30 जुलाई तक रोजाना उनकी कड़ाई के साथ मॉनिटरिंग की जाएगी। 
 

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सीडीसी ने कहा कि मरीज 8 और 9 जुलाई को अटलांटा में लागोस से डलास की यात्रा की। करीब एक हफ्ते पहले उसमें संक्रमण का पता चला। मंकीपॉक्स सांस के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। 
 

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हेल्थ ऑफिसर्स के मुताबिक, उन व्यक्तियों की निगरानी की जा रही है, जो मरीज से छह फीट से कम दूरी पर संपर्क में थे। या जिन्होंने विदेशी उड़ान के दौरान मरीज के इस्तेमाल के बाद बाथरूम का इस्तेमाल किया।
 

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वायरस के संभावित जोखिम को कम करने के लिए एयरलाइन कर्मचारियों और परिवार के सदस्यों की भी जांच की जा रही है। 
 

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नेशनल सेंटर फॉर इमर्जिंग जूनोटिक एंड इंफेक्शियस डिजीज के पेंडमिक एक्सपर्ट एंड्रिया मैककॉलम ने कहा कि ये बहुत सारे लोग हैं। हम बारीकी से सभी लोगों की निगरानी करना चाहते हैं। 

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मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
मंकीपॉक्स इंसानों में फैल सकता है। शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, बेचैनी और थकान शामिल हैं। बाद में तेज बुखार आता है। शरीर पर ढेर सारे दाने निकल आते हैं। ये सबसे पहले चेहरे पर निकलते हैं और बाद में पूरे शरीर पर। 
 

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इस संक्रमण को मंकीपॉक्स कहने की पीछे वजह है। दरअसल, मंकीपॉक्स की खोज पहली बार 1958 में हुई थी, जब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के प्रकोप दिखे। इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा। चेचक को खत्म करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के दौरान कांगो में 1970 में मंकीपॉक्स का इंसानों में इसका पहला केस मिला था। सीडीसी के अनुसार, अफ्रीका में मंकीपॉक्स से 10 में से एक व्यक्ति वायरस से मर जाता है। सीडीसी का कहना है कि मंकी बी वायरस से संक्रमित लोगों में 50 में से 21 की मौत हो गई है।
 

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