ट्रेंडिंग डेस्क। तानाशाह शब्द नाम सुनते ही शरीर में सिरहन सी दौड़ जाती है। दिमाग में ऐसे खूंखार और भयावह शख्स की छवि कौंध जाती है, जो लंबा-चौड़ा तथा जल्लाद किस्म का हैवान सा दिखने वाला होगा, जिसे किसी की जान लेने में मजा आता होगा। वह सिर्फ खुद के मजे लेने और अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए हजारों-लाखों लोगों को मरवा देता होगा। लोगों को बेघर कर देता होगा। आज हम आपको ऐसे ही एक तानाशाह ईदी अमीन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह नरभक्षी था। अपनी शारिरिक ताकत बढ़ाने के लिए इंसानों का खून पीता और मांस खाता। आइए तस्वीरों के जरिए इस क्रूर शासक के बारे में विस्तार से जानते हैं।
छह फुट चार इंच लंबा ईदी पहले युगांडा का हैवीवेट चैंपियन था। उसका वजन 137 किलो के करीब था। 1971 में उसने युगांडा के राष्ट्रपति मिल्टन ओबोटे को पद से हटाकर सत्ता अपने कब्जे में ले ली।
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उसकी पहचान क्रूर शासक के तौर पर की जाती थी। उसने युगांडा में कुल 8 साल शासन किया, मगर इस दौरान उसने लाखों लोगों को मौत के घाट उतारा। कहा जाता है कि ईदी भारतीयों से चिढ़ता था।
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ईदी से पहले मिल्टन ओबेटो जब राष्ट्रपति थे, तब वे एशियाई लोगों से संबंध अच्छे रखना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने अपनी सरकार में कई भारतीयों और एशियाई देश के लोगों को जगह दी। ये सभी लोग तब युगांडा के नागरिक थे।
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युगांडा लंबे समय तक ब्रिटेन के कब्जे में रहा। ब्रिटेन ने 9 अक्टूबर 1962 को युगांडा को आजादी दे दी। हालांकि, इससे पहले ब्रिटेन ने भारतीयों और कुछ अन्य एशियाई देश के लोगों को वहां ले जाकर बसाया था।
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भारतीय मूल के लोगों की वहां अलग बसावट की गई। उनके व्यापार, स्कूल और अस्पताल सब कुछ अफ्रीकियों से अलग थे। भारतीय लोगों का अफ्रीकी लोगों से कोई मतलब नहीं होता था। ये सभी ब्रिटेन के कब्जे का समर्थन करते थे।
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ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद मिल्टन ओबेटो प्रधानमंत्री बने, जबकि एडवर्ड मोटेसा राष्ट्रपति। मोटेसा युगांडा के सबसे बड़े कबीले बगांडा के सरदार थे। मगा बाद में ओबेटो ने छल से मोटेसा को सत्ता से बेदखल किया और खुद सत्ता पर काबिज हो गया।
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इन्हीं ओबेटो को हटाकर ईदी अमीन ने सत्ता पर कब्जा जमा लिया। उसने आते ही भारतीयों को देश छोड़ने के लिए कह दिया। उसने कहा कि खुदा चाहता है कि युगांडा में बसे सभी एशियाई लोगों को बाहर किया जाए।
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जिन भारतीयों का वहां व्यवसाय था, घर था, दूसरी संपत्तियां थीं, उसे छोड़कर उन्हें जान बचाते हुए परिवार सहित दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी। कुछ लोग भारत लौट आए, तो कुछ दूसरे देशों में जाकर बस गए।
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ईदी के बारे में कहा जाता है उसने दुश्मनों को मरवाया। उनके शवों के साथ बर्बरता की जाती। यहां तक कि वह इंसानों का मांस खाता और उनका खून पीता, इसलिए कुछ लोगों को रोज सिर्फ उसके भोजन के लिए मारा जाता था।
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हालांकि, युगांडा के लोगों को 1979 में उसके कहर से मुक्ति मिली। ईदी के विरोधियों ने तंजानिया से हाथ मिलाया, जिसके बाद ईदी छिपते-भागत सऊदी अरब पहुंच गया। यहां 2003 तक वह रहा और बाद में यहीं उसकी मौत हो गई।