उन्होंने आगे बताया- बोर्डिंग में हफ्ते में दो बार नहाने का वक्त होता था। एक बड़ा से बाथरूम में 30-40 शावर होते थे, जिसे बेंत पड़ी होती थी उसकी बॉडी पर बेंत का काला निशान पड़ जाता था। ऐसे में पूरे हॉस्टल को पता चल जाता था कि किसे मार पड़ी है। सब पूछते थे कितनी बेंत पड़ी। हालांकि, अब ऐसा नहीं होता है।