एक्टर कहते हैं कि एक तो असली तलवार थी और दूसरी बात कि उस वक्त स्पेशल इफेक्ट्स इतने प्रॉपर तरीके से नहीं होते थे। इसके लिए थोड़ा ज्यादा काम करना पड़ा। ज्यादा टाइम लगता था। जो कुछ भी स्पेशल इफेक्ट्स होते थे उन्हें करने के लिए रवि नागाइच साहब मद्रास से स्पेशली आते थे। वह बहुत अच्छे डायरेक्टर भी रहे हैं। ज्यादातर स्पेशल इफेक्ट्स वही करते थे, तो कामागी राक्षस के वध वाले सीन के स्पेशल इफेक्ट्स उन्होंने ही किए थे।