छलक उठा रामायण के 'राम' का दर्द, बोले 50 साल से मुंबई में हूं लेकिन किसी ने अब तक..

मुंबई। रामानंद सागर की रामायण में भगवान राम का किरदार निभाकर घर-घर में पहचाने जाने वाले एक्टर अरुण गोविल ने सोशल मीडिया पर अपना अपना दर्द बयां किया है। अरुण गोविल ने अपने एक ट्वीट में बताया कि 'रामायण' जैसा पॉपुलर सीरियल करने के बाद भी उन्हें केंद्र या राज्य सरकार ने कभी किसी सम्मान के लायक नहीं समझा। उन्होंने आगे लिखा- "चाहे कोई राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, मुझे आज तक किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं, लेकिन उस सरकार ने भी मुझे आज तक कोई सम्मान नहीं दिया। और यहां तक कि मैं पचास साल से मुंबई में हूं। लेकिन महाराष्ट्र की सरकार ने भी कोई सम्मान नहीं दिया।" 

 

Asianet News Hindi | Published : Apr 25, 2020 3:46 PM IST / Updated: Apr 26 2020, 05:23 PM IST

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छलक उठा रामायण के 'राम' का दर्द, बोले 50 साल से मुंबई में हूं लेकिन किसी ने अब तक..

बता दें कि अरुण गोविल ने यह बात ट्विटर पर फिल्मफेयर के लिए रघुवेंद्र सिंह से हुई बातचीत में कही। अरुण गोविल को भले ही किसी सरकार ने अब तक किसी पुरस्कार से नहीं नवाजा है, लेकिन उनके करोड़ों प्रशंसकों ने कमेंट कर उन्हें बताया है कि राम के रूप में देश की जनता उन्हें आज भी पूजती और पसंद करती है। 

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एक शख्स ने लिखा, "अरुण जी आप खुद एक सम्मान हैं हमारे लिए। आपको कोई सम्मान दे या न दे भारत के सभी घरों में राम के रूप में लोग आपको देखते हैं और पूजते हैं।" 

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वहीं एक अन्य यूजर ने कमेंट किया- "करोड़ों लोग आप में भगवान श्रीराम को देखते हैं। मेरा बेटा आपको ही राम समझता है। ऐसा सम्मान किसी को नसीब नहीं।"

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बातचीत के दौरान जब अरुण गोविल से पूछा गया कि राम के किरदार को जीवंत बनाने के लिए उन्होंने किस तरह की तैयारी की? तो जवाब में उन्होंने लिखा, "मैंने कोई फिल्म नहीं देखी। अपने घरों में उनकी जो तस्वीरें हैं, वही देखी थीं। उनके तमाम गुणों के आधार पर उनकी कल्पना की थी। शूटिंग से पूर्व हमने राम के लुक में फोटो निकाली थी, यह देखने के लिए कि हम कैसे दिखते हैं।"

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इसी दौरान अरुण से पूछा गया कि 'रामायण' के बाद लोग उन्हें राम मानने लगे थे तो क्या इस इमेज की वजह से आपको किसी तरह की मुश्किल का सामना करना पड़ा था? इस पर उन्होंने कहा- रामायण के बाद मुझे कमर्शियल फिल्में मिलनी बंद हो गई थीं। हर बात के निगेटिव-पॉजिटिव पहलू होते हैं। 'रामायण' से मुझे जो कुछ मिला, वह शायद मैं कितनी भी फिल्में कर लेता, मुझे नहीं मिलता। भगवान राम ने अपना नाम मेरे साथ जोड़ दिया। और क्या देगा भगवान? मैं इंसान ही बना रहूं, बहुत है मेरे लिए।"

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बता दें कि 'रामायण' का पहला प्रसारण 25 जनवरी, 1987 में शुरू हुआ था और यह 31 जुलाई, 1988 तक दूरदर्शन पर दिखाई गई। इसके बाद इसका पुन: प्रसारण कोरोना लॉकडाउन के बीच दूरदर्शन पर दोबारा शुरू हुआ। 

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रामायण के सभी एपिसोड उम्बरगांव में शूट किए गए थे। रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर के मुताबिक, विक्रम बेताल का एक एपिसोड 1 लाख में बना था। हालांकि रामायण का हर एक एपिसोड बनने में 9 लाख के आसपास लगे थे।

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रामायण की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगता है कि इसे तीन बार बढ़ाया गया था। पहले ये 52 एपिसोड की सीरीज थी, जिसे बाद में बढ़ाते हुए 78 एपिसोड टेलीकास्ट किए गए थे। रामायण के सभी एपिसोड्स की शूटिंग करने में 550 दिन का वक्त लगा था।

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रामायण को 55 देशों में टेलीकास्ट किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक रामायण को दुनियाभर में 650 से भी ज्यादा मिलियन लोगों ने देखा था।

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साल 1987 में जब रामायण दूरदर्शन पर शुरू होती थी तो उस दौरान सड़कों पर एकदम सन्नाटा पसर जाता था।

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बता दें कि लॉकडाउन के बीच शुरू हुई ‘रामायण’ ने TRP के मामले में पिछले पांच सालों के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बार्क (Broadcasting Audience Research Council) की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले एपिसोड की रेटिंग 3.4%, थी, जिसके बाद चौथे एपिसोड तक इस शो की रेटिंग 5.2% तक पहुंच गई है।

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