उज्जैन. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक का समय पितरों के तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान के लिए उत्तम माना गया है। इन 16 दिनों को ही श्राद्ध पक्ष कहते हैं। महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में विस्तार से बताया है। भीष्म ने युधिष्ठिर को ये भी बताया है कि किस तिथि व नक्षत्र में श्राद्ध करने से उसका क्या फल मिलता है। इसकी जानकारी इस प्रकार है-