महंत ने लिखा- मैं मरने जा रहा हूं, अतं समय में सत्य बोलूंगा। मैंने हर समय मठ और हनुमान जी की सेवा की है। मठ का एक पैसा भी घर-परिवार को नहीं दिया है। मेरा घर से कोई संबंध नहीं है। मैं 2004 में महंत बना। तब से लेकर अब तक विकास किया। मैं समाज में अपना सिर उठाकर जीता था, लेकिन आनंद गिरी, मंदिर के पुजारी, तिवारी का बेटा संदीप तिवारी भी मेरी मरन की वजह हैं। उन्होंने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, इसलिए सुसाइड कर रहा हूं। मेरी आखिरी इच्छा है कि मेरी समाधि पर एक नीबू का पौधा लगा देना।