शाहजहां ने नहीं कटवाया था ताजमहल बनाने वालों का हाथ, बहुत कम ही लोग जानते हैं ताज से जुड़ी ये कई बातें

Published : Feb 25, 2020, 04:27 PM ISTUpdated : Feb 25, 2020, 05:03 PM IST

आगरा (Uttar Pradesh) । ताजमहल को लेकर तरह-तरह की बातें की जाती हैं। ताज का दीदार न करने वाले आज भी यही जानते हैं कि शाहजहां ने ताजमहल बनवाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे, लेकिन यह गलत है, जबकि हकीकत ये है कि शाहजहां ने कारीगरों से वादा था कि वे अब काम नहीं करेंगे। इसके बदले उनके जीवनभर का मेहनताना दिया जाएगा। ये बातें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार को भी बताई गई। 

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शाहजहां ने नहीं कटवाया था ताजमहल बनाने वालों का हाथ, बहुत कम ही लोग जानते हैं ताज से जुड़ी ये कई बातें
ताजमहल को 1631 से 1648 के बीच बना। इसे मुगल शहंशाह शाहजहां ने बेगम अर्जुमन्द बानो बेगम उर्फ मुमताज महल की याद में ताजमहल बनवाया।
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20 हजार से ज्यादा कारीगरों ने 17 साल में ताजमहल को बनाया था। ये कारीगर देशभर से आए, जो संगमरमर की इमारतें बनाने में माहिर थे। डिजाइन उस्ताद अहमद लाहौरी ने बनाया और शिराजी के अमानत खान को गुंबद पर केलीग्राफी का काम सौंपा गया। तुर्की के गुंबद बनाने के शिल्पी इस्माइल खान अफरीदी ने गुंबद बनाया।
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ताजमहल में दुनियाभर के 49 जगह से रंगीन पत्थर लाकर संगमरमर के साथ ये डिजाइन तैयार किए गए। न ये रंग हैं और न ये पेंटिंग है। यह संगमरमर की शिल्पकला है।
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ताजमहल के लिए संगमरमर राजस्थान के मकराना से आया। काला पत्थर दक्षिण भारत के कडप्पा से लाया गया। रूस, ईरान, इराक, मिस्र, अरब, चीन, श्रीलंका, समुद्र आदि जगहों से कीमती पत्थर लाए गए।
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शाहजहां को उसी के बेटे औरंगजेब ने कैद कर आगरा किला के मुसम्मन बुर्ज में आठ साल तक रखा था।
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भूमिगत कब्र 1632 में शाहजहां ने ही बनवाई थी। 1648 तक ताजमहल बनने के दौरान ही ऊपर की नकली कब्र बनाई गई। इस्लाम में कब्रों को सजाना मना है, इसलिए नकली कब्र बनाकर महंगे रत्नों और सोने-चांदी से सजाया गया।
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ताज में डबल डोम यानी दोहरा गुंबद है। पिन ड्रॉप साइलेंस में बोलने पर आवाज गूंजती है।
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पांच साल से ताजमहल की सफाई चल रही है। प्राकृतिक तरीके से बिना किसी रसायन के मडपैक ट्रीटमेंट से ताज की सफाई की गई है। 370 सालों में केवल एक बार मडपैक ट्रीटमेंट से सफाई हुई है। ताज पुराने रंगरूप में आ चुका है।
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ताजमहल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। मस्जिद की तरह दूसरी ओर मेहमानखाना है, जिसे रेप्लिका के तौर पर बनाया गया, लेकिन ब्रिटिश लोगों ने इसका इस्तेमाल गेस्ट हाउस के तौर पर किया।
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ताजमहल बनवाने वाले कारीगरों के हाथ नहीं कटवाए गए थे। बल्कि, शाहजहां ने कारीगरों से वादा लिया था कि वे अब काम नहीं करेंगे। इसके बदले उनके जीवनभर का मेहनताना दिया था। मुमताज की मृत्यु 14वें बच्चे (गौहरा बेगम) को जन्म देने के बाद तबीयत बिगड़ जाने से हुई थी।

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