ताज महल से जुड़े 10 झूठ को दुनिया मानती है सच, जानिए आखिर क्या है पूरी सच्चाई

आगरा (Uttar Pradesh). 24 फरवरी यानी सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फैमिली के साथ ताज महल दीदार के लिए आगरा आ रहे हैं। आपको बता दें, ताज महल को लेकर पूरे विश्व में कई तरह की अफवाहें हैं, जिन्हें दुनिया सच मानती है। लेकिन उसके पीछे की सच्चाई कुछ और ही है। आज हम आपको ताज से जुड़ी कुछ ऐसी ​ही अफवाहों की सच्चाई बताने जा रहे हैं। ये जानकारी इतिहासकार राज किशोर और पुरातत्‍व विभाग (ASI) के अधिकारी भुवन विक्रम ने एक न्यूज पोर्टल को दी थी।

Asianet News Hindi | Published : Feb 24, 2020 6:34 AM IST / Updated: Feb 24 2020, 12:12 PM IST
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ताज महल से जुड़े 10 झूठ को दुनिया मानती है सच, जानिए आखिर क्या है पूरी सच्चाई
हकीकत : शाहजहां ने कारीगरों से आजीवन काम न करने का वादा लिया था। इसके बदले उन्हें जिदंगी भर वेतन दिया।
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हकीकत : शाहजहां की मौत की अफवाह फैलने के बाद उसके बेटों के बीच युद्ध हुआ। जिसमें औरंगजेब जीत गया और उसने शाहजहां को बंदी बना लिया। बीमारी के चलते 74 साल की उम्र में शाहजहां की मौत हुई थी।
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हकीकत : ताज को बनाने में 28 तरह के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। कई पत्थरों की खासियत है कि ये चांदनी रात में ये चमकते हैं। शरद पूर्णिमा के दौरान पत्थरों के चमकने से ताज खूबसूरत लगता है।
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हकीकत : साल में एक बार उर्स के दौरान लोग शाहजहां और मुमताज की असली कब्र देख सकते हैं। इस दौरान भारी भीड़ जुटती है, जिससे ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है। दीवारों पर पानी की बूंदें आ जाती है। भीड़ खत्म होने पर पानी की बूंदें गायब हो जाती है।
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हकीकत : एएसआई ने आगरा कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि ताज महल को शाहजहां ने बनवाया था। हिंदू मंदिर का सबूत नहीं मिला है।
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हकीकत : एएसआई के मुताबिक, काला ताजमहल निर्माण की योजना के कोई सबूत नहीं मिले हैं। गाइडो ने 1910 से काला ताजमहल की कहानी गढ़ी।
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हकीकत : ताजमहल सफेद संगमरमर से बना है। जब इस पर सूर्य की किरणें पर पड़ती है तो यह सुबह के समय सुनहरा और शाम को गुलाबी दिखता है।
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हकीकत: ताजमहल के डिजाइन के लिए दुनियाभर के वास्तुकार से मदद ली गई थी। हालांकि, इसे किसने डिजाइन किया, यह नहीं कहा जा सकता।
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हकीकत : भूत और जिन्न द्वारा ताज की नींव को ध्वस्त करने का सबूत नहीं मिला है। यह सिर्फ अफवाह है।
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हकीकत : 17 जून 1631 को बुहारनपुर में मुमताज की मौत हुई थी। जिसके बाद उनका शव पहले बुहारनपुर फिर निर्माणाधीन ताज परिसर में दफनाया गया। 22 साल बाद मुमताज के शव को तीसरी बार ताज के मुख्य स्मारक में दफनाया गया। एएसआई के पास ममी के कोई सबूत नहीं है।
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