उन्नाव केस: टूटा फूटा घर, दीवारें कच्ची; एक एक ईंट बयां कर रही है गैंगरेप विक्टिम का दर्द
लखनऊ. उन्नाव में हुए गैंगरेप के बाद पीड़िता को पेट्रोल डाल जिंदा जला दिया गया। इसके बाद उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। पीड़िता के परिवार ने मांग की कि आरोपियों को हैदराबाद एनकाउंटर सहित सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने सार्वजनिक आत्मदाह की धमकी भी दी। शनिवार देर रात उसका शव घर पहुंचा तो लोगों को कच्ची दीवारों के जर्जर मकान के साथ उसकी गरीबी और आरोपियों के अत्याचारों की कहानी सामने आई।
Asianet News Hindi | Published : Dec 8, 2019 6:53 AM IST / Updated: Dec 08 2019, 12:27 PM IST
दबंग परिवार के अत्याचार की कहानी पीड़िता के घर की एक-एक ईंट बयां कर रही है। कच्चा घर, गिरी दीवारें चीख-चीखकर बता रही हैं कि कैसे गांव के प्रधान होने के नाते आरोपी ने पीड़ित परिवार पर कहर बरपाया है। सरकार गांव के लिए सैकड़ों योजनाएं चला रही है और करोड़ों लाभार्थियों का दावा भी करती है। ऐसे में ये परिवार गांव के प्रधान की दबंगई के चलते हर सुविधा और योजना से अछूता है। आरोपी के घर में प्रधानी होने से पीड़िता के परिवार को किसी योजना या सुविधा का लाभ नहीं पहुंचा।
दीवार के झरोंखों में छिपा है दर्द- पीड़िता का घर कच्चा मकान है, टूटा-फूटा है, कई जगह से दीवारें टूटी हुई हैं। घर में सामान के नाम पर दो-चार चीजें हैं, कोई सुविधा संसाधन मौजूद नहीं है। 2017 से चल रहे इस केस में पुलिस प्रशासन ने भी पीड़िता और परिवार के हालात जाना जरूरी नहीं समझा था। पीड़िता के घर आज बड़े-बड़े नेताओं का तांता लगा है, प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं ने वहां दौरा किया। मीडिया में तस्वीरें छाई हैं भारी पुलिस बल वहां मौजूद है। जो भी पीड़िता के घर पहुंच रहा है बस हालात देख गुस्से में है। कैसे पुलिस और सरकार की नजरों से उसकी माली हालत छिपी रह गई। अब पीड़िता के घर तक जाने वाली सड़क पर लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है।
शासन से फोन आते ही सहम जाते अफसर- उन्नाव मामले में शनिवार को मौके पर मौजूद अफसरों से सारी गतिविधियों की जानकारी ली जा रही थी। शासन स्तर से जब भी कोई फोन आता अफसर सतर्क हो जाते। इस दौरान बड़े-बड़े अधिकारी डरे-सहमे नजर आए। वह सिर्फ यही सोच रहे किसी तरह ये मामला खत्म हो जाए। हालांकि आक्रोशित लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तो पुलिस ने लाठी मार सबको भगा दिया।
जेब कर लौट जाते थे अफसर- पीड़िता के पिता का आरोप था कि पुलिस ने पहले से ही मामले को सीरियस नहीं लिया, वो पीड़िता के घर आने की बजाय आरोपी के घर जाते वहां उनकी आवभगत होती, वो घूस लेते और चले जाते। जेब गरम हो जाने के बाद वो सिर्फ प्रधान की सुनता हमारी नहीं। ढाई महीने चक्कर काटने के बाद भी बेटी की सुनवाई नहीं हुई पुलिस ने शुरुआत में ही गंभीरता से काम किया होता तो आज ये नौबत न आती।
मंत्री ने फेसबुक पर डाली पीड़िता की पहचान- सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि पीड़िता और उसके परिवार की पहचान छिपाई जाए। मगर प्रदेश सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसका उलंघना किया और पीड़िता से मिलने के बाद उसकी पहचान फेसबुक पर पोस्ट कर दी, यहां तक की तस्वीरें वायरल हो गईं। इस हरकत से मंत्री अपना चेहरा चमकाने की कोशिश कर रहे थे।
क्या था मामला- उन्नाव में पीड़िता को दुष्कर्म के आरोपियों समेत पांच लोगों ने जिंदा जला दिया गया था। वो कोर्ट की सुनवाई के लिए ररायबरेली जा रही थी। 90 फीसदी जल जाने के कारण पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शुक्रवार रात मौत हो गई थी। दिल्ली से पीड़िता का शव रात्र 9.10 बजे उन्नाव स्थित उसके गांव पहुंच गया था।