आखिर में पीछे हट ही गई योगी सरकार, फरमान के 7 दिन बाद वापस लिया ये बड़ा फैसला

Published : May 16, 2020, 08:08 AM ISTUpdated : May 16, 2020, 09:26 AM IST

लखनऊ ( Uttar Pradesh) । कोरोना वायरस के कारण बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगी योगी सरकार एक के बाद एक कई बड़े निर्णय ले रही है। लेकिन, सरकार ने श्रम कानूनों के तहत रजिस्टर्ड कारखानों को युवा श्रमिकों से कुछ शर्तों के साथ एक दिन में 12 घंटे तक काम कराने संबंधी छूट की अधिसूचना को हफ्ते भर बाद ही निरस्त कर दिया है। इससे श्रमिकों से काम कराने की अवधि अधिकतम आठ घंटे हो गई है। बता दें कि कुछ दिन पहले यूपी सरकार की इस अधिसूचना को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी, जिस पर 18 मई को अगली सुनवाई  होनी है।

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आखिर में पीछे हट ही गई योगी सरकार, फरमान के 7 दिन बाद वापस लिया ये बड़ा फैसला


यूपी सरकार ने 8 मई को श्रम विभाग की ओर से अधिसूचना जारी किया था। जिसमें रजिस्टर्ड कारखानों में श्रमिकों के काम करने के घंटे बढ़ाए गए थे।

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इस अधिसूचना के मुताबिक कारखाने में युवा श्रमिक से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे और एक हफ्ते में 72 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाना था।

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यूपी सरकार की इस अधिसूचना को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर 18 मई को अगली सुनवाई होनी है। वहीं, सरकार ने इस अधिसूचना को 15 मई को निरस्त कर दिया है।

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इस अधिसूचना के निरस्त किए जाने के बाद अब एक दिन में अधिकतम आठ घंटे और एक हफ्ते में 48 घंटे काम कराने का पुराना नियम फिर प्रभावी हो गया।

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आरएसएस के भारतीय मजदूर संघ ने नए श्रम कानून को मजदूर विरोधी बताया था। साथ ही संगठन ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करने की धमकी दी थी।

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बता दें कि कोरोना संकट की वजह से ठप पड़े कारोबार को गति देने के नाम पर यूपी में औद्योगिक इकाइयों, प्रतिष्ठानों और कारखानों को एक हजार दिन (यानी तीन साल) के लिए श्रम कानूनों में छूट दे दी है। हालांकि मजदूर संगठन इसका जमकर विरोध कर रहे हैं।
 

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