हटके डेस्क। पिछले मंगलवार की सुबह अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के दश्त-ए-बर्ची नेशनल हॉस्पिटल के मैटरनिटी वार्ड में आतंकियों ने भारी कत्लेआम मचाया। आईएसआईएस आतंकवादियों ने वहां अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें 24 लोग मारे गए। मारे जाने वालों में गर्भवती महिलाएं, नर्सें और नवजात बच्चे शामिल थे। लेकिन इस भयंकर गोलीबारी में सिर्फ 3 घंटे पहले पैदा हुई एक बच्ची बच गई, जिसके पैरों में आतंकवादियों ने दो गोली मारी थी। कहावत है - जाको राखे साइयां मार सके ना कोय। इस बच्ची के बारे में यही कहा जा सकता है। पैरों में दो गोलियां लगने के बावजूद उसका जिंदा बच जाना बहुत ही आश्चर्य की बात है। इस हमले में बच्ची की मां मारी गई। बच्ची का नाम उसकी मां के नाम पर ही नाजिया रखा गया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर के उसके पैर से गोली निकाली और उसका इलाज किया। ये आतंकवादी बिल्डिंग में पुलिस अधिकारियों के यूनिफॉर्म में दाखिल हुए थे। बिल्डिंग में घुसते ही उन्होंने ग्रेनेड से हमला किया और फिर राइफल से गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले के दौरान भी कुछ प्रेग्नेंट महिलाओं ने बच्चों के जन्म दिया। आतंकवादियों के इस हमले में कई नवजात बच्चों के साथ एक दर्जन से ज्यादा पुरुष, महिलाएं और नर्सें घायल हो गईं। बाद में हमलावर भी मारे गए। बुरी तरह घायल इस नवजात बच्ची को इलाज के लिए काबुल के इंदिरा गांधी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया। इंदिरा गांधी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर नूर उल-हक यूसुफजाई ने कहा कि जन्म लेने के महज 3 घंटे के बाद ही बच्ची को हमलावरों ने गोली मारी। इससे अमानवीय घटना और क्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि बच्ची का ऑपरेशन सफल रहा है और बड़ी होने के बाद वह आसानी से चल-फिर सकती है। हालांकि, हॉस्पिटल पर हुए इस हमले की जिम्मेदारी किसी आतंकवादी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन अमेरिका ने इसके पीछे आईएसआईएस के आतंकवादियों का हाथ बताया है। देखें इससे जुड़ी तस्वीरें।