कोरोना होते ही चमकने लगेगा ये फेस मास्क, दूर से ही पता चल जाएगा किसे है संक्रमण

Published : May 16, 2020, 10:07 AM ISTUpdated : May 17, 2020, 08:52 AM IST

हटके डेस्क। कोरोना वायरस महामारी का कहर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पूरी दुनिया में इससे 46 लाख, 28 हजार, 356 लोग संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 3 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई वैक्सीन और दवा नहीं बनाई जा सकी है। इस बीच, अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक ऐसा फेस मास्क बनाया है, जिससे इस बात का तुरंत पता चल जाएगा कि कोई कोरोना से इन्फेक्टेड है या नहीं। इस फेस मास्क को बनाने वाली रिसर्च टीम का दावा है कि इसे लगाने पर अगर कोई कोरोना वायरस से इन्फेक्टेड होगा तो फेस मास्क चमकने लगेगा। रिसर्चर्स का कहना है कि उन्होंने इस फेस मास्क को बनाने में 2016 में विकसित की गई उस तकनीक का सहारा लिया है, जिसके जरिए जीका वायरस से संक्रमित लोगों की पहचान की जाती थी। बताया जा रहा है कि इस फेस मास्क में सेंसर लगे हुए हैं। इनके जरिए आसानी से कोरोना वायरस से इन्फेक्टेड लोगों की पहचान की जा सकती है। इस मास्क में जो सेंसर लगे हैं, उनके जरिए किसी व्यक्ति के साल्विया की जांच 3 घंटे के अंदर कर पता लगाया जा सकता है कि वह कोरोना से इन्फेक्टेड है या नहीं। इस हाईटेक मास्क को बनाने वाली टीम के प्रमुख शोधकर्ता जिम कॉलिन्स का कहना है कि इस मास्क का इस्तेमाल एयरपोर्ट्स और अस्पतालों के वेटिंग रूम में बैठे लोगों की जांच के लिए  किया जा सकता है। इसके अलावा, सार्वजनिक जगहों पर भी इस मास्क का इस्तेमाल कोरोना की जांच के लिए किया जा सकता है। रिसर्च टीम का कहना है कि गर्मियों के अंत तक यह मास्क लोगों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन टीम छोटी होने के कारण बड़े पैमाने पर अभी इसका उत्पादन संभव नहीं है। देखें इससे जुड़ी तस्वीरें।     

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कोरोना होते ही चमकने लगेगा ये फेस मास्क, दूर से ही पता चल जाएगा किसे है संक्रमण

कोरोना वायरस के इन्फेक्शन से बचने के लिए फेस मास्क लगाना और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है, लेकिन इससे कोरोना वायरस के इन्फेक्शन का पता नहीं लगाया जा सकता था। इसके लिए सिर्फ यह जांच की जाती थी  कि किसी को फीवर है या नहीं। 

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कोरोना वायरस के संक्रमण की जानकारी देने वाले मास्क को बनाने वाली टीम का कहना है कि इससे एयरपोर्ट्स और दूसरे सार्वजनिक स्थलों पर कोरोना के संक्रमण के शिकार लोगों की जांच करने में आसानी होगी। इस मास्क में सेंसर लगे हैं, जिससे संक्रमित लोगों के पहने जाने पर मास्क ग्लो करने लगता है।   

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फिलहाल, कोरोना की जांच के लिए मरीज के नाक और मुंह से साल्विया का सैंपल लिया जाता है। इस जांच का रिजल्ट आने में 24 घंटे का समय लग जाता है। लेकिन ज नया फेस मास्क रिसर्चर्स ने विकसित किया है, वह साल्विया की जांच 3 घंटे में कर कन्फर्म कर सकता है कि किसी को कोरोना का इन्फेक्शन है या नहीं। 

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डॉक्टर्स और दूसरे हेल्थ साइंटिस्ट्स एक्सपेरिमेंट के दौरान पहले से हाईटेक फेस मास्क का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन यह फेस मास्क अलग ही तरह का है। यह सुरक्षा देने के साथ इन्पेक्शन का भी पता लगा लेता है। 

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कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए लोग तरह-तरह के फेस मास्क का यूज कर रहे हैं। 

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हाईटेक फेस मास्क बनाने की प्रॉसेस में लगा एक टेक्नीशियन। इसमें कई तरह की कोडिंग करनी पड़ती है। 

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यहां एक हाईटेक फेस मास्क के नमूने को दिखाया गया है। 

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कोरोना वायरस महामारी फैलने के शुरुआती दौर में ही सभी लोगों के लिए फेस मास्क का यूज करना अनिवार्य कर दिया गया था।

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साधारण फेस मास्क कोई भी आसानी से बना सकता है, लेकिन हाईटेक फेस मास्क बनाने के लिए कई तरह के उपकरणों का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसके लिए काफी प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होती है। 

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कोरोना महामारी बढ़ने पर कई देशों में फेस मास्क की किल्लत की समस्या भी पैदा हो गई। 

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कोरोना महामारी दुनिया पर बहुत बड़ी मुसाबत बन कर आई है। छोटे-छोटे बच्चों को भी फेस मास्क लगाना पड़ रहा है। सुरक्षा के लिहाज से यह जरूरी है, लेकिन यह नया हाईटेक मास्क आने से नई उम्मीदें जगी हैं। 

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