अमीरों ने हवाई जहाज से दुनिया में फैलाया कोरोना, हजारों किलोमीटर पैदल चल गरीब भुगत रहे अंजाम
हटके डेस्क: कोरोना वायरस ने दुनिया के कई देशों में आतंक मचा दिया है। इस वायरस के शिकार लोगों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। दुनिया में इससे संक्रमित लोगों की संख्या 6 लाख के पार हो चुकी है। वहीं इससे हुई मौत का आंकड़ा भी तीस हजार पार कर चुका है। ये वायरस चीन के वुहान से आज दुनिया के कई देशों में फैल गया है। भारत में कोरोना वायरस ने तेजी से पैर फैला दिए हैं। भारत में इसके कुल संदिग्धों की संख्या आज एक हजार पहुंच गई। वहीं मरने वालों की संख्या भी 25 हो गई। चीन और कोरोना से संक्रमित देशों से ये वायरस लेकर देश आए अमीरों की लापरवाही से ये वायरस भारत में फैल गया। उनकी लापरवाही के कारण आज लॉकडाउन में गरीबों को पैदल अपने घरों तक जाने को मजबूर होना पड़ा। तस्वीरों में देखें कैसे अमीरों की लापरवाही का खामियाजा इन गरीबों को चुकाना पड़ रहा है...
छड़ी के सहारे खुद को धक्का देती हुई ये बूढ़ी अम्मा जिंदगी की आस में चल रही हैं। नहीं पता और कितना चलना है। पूरा परिवार आगे चल रहा है वो बहू-बेटे के पीछे धीमे-धीमे चल रही हैं। उन्हें पता है पैरों में दर्द हो या पूरे बदन में उन्हें हर हाल में चलते रहना है
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर इन परिवारों की तस्वीर ली गई हैं। ये भारत के इतिहास में काले पन्नों में दर्ज होगा कि 2020 के हाईटेक हो चुके डिजिटल इंडिया में दिल्ली से राजस्थान घर जाने के लिए गरीब, बेसहारा मजदूर परिवार पैदल निकल पड़े थे।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर इन परिवारों की तस्वीर ली गई हैं। ये भारत के इतिहास में काले पन्नों में दर्ज होगा कि 2020 के हाईटेक हो चुके डिजिटल इंडिया में दिल्ली से राजस्थान घर जाने के लिए गरीब, बेसहारा मजदूर परिवार पैदल निकल पड़े थे।
ये अपने कंधों पर अपने छोटे-छोटे बच्चों को लादकर चल रहे हैं, तो कुछ जरूरी सामान भी ले रखा है। भूखे-प्यासे ये कई-कई घंटे सिर्फ चल रहे हैं तो ज्यादा थक जाने पर कहीं आराम कर लेते हैं। खाने के नाम पर इनके पास सिर्फ बिस्किट के पैकेट्स हैं। नोएडा में रास्ते में एक ट्रैफिक कांस्टेबल ने उन्हें रोका और एक दूसरे से अलग कर दिया। कोरोना वायरस न फैले इसके लिए आगाह किया। इन लोगों में दो बच्चे हैं जो दिल्ली में माली और जनरल स्टोर में हेल्पर का काम करते थे। ये भी पैदल चल पड़े हैं।
एक 45 वर्षीय सब्जी विक्रेता मोहम्मद शफ़ीक भी चल रहे हैं। उनके साथ प्रदीप और अशोक नाम के दो युवा लड़के थे जिनसे वो रास्ते में मिले थे। बुलंदशहर में उनके पैतृक गांव पास ही थे तो सब साथ हो लिए।
शफीक बताते हैं कि पुलिस उन लोगों की पिटाई कर रही है थी इसलिए वो सज्बी वाले ठेले पर चल पड़े। इन लोगों ने रास्ते में चलने वाली गाडि़यों से मदद मांगी, लिफ्ट मांगी लेकिन कोई नहीं रूका।
केंद्र सरकार द्वारा कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से तीन सप्ताह के राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा की गई थी। उसके बाद से हजारों प्रवासी श्रमिक और दैनिक आय वाले शहर छोड़ रहे हैं।
जब लॉकडाउन के बाद बसें बंद हो गईं और सीमाओं को सील कर दिया तो इन लोगों ने दिल्ली से घर जाने का फैसला किया, क्योंकि उनके पास न तो खाना था और न ही पैसे। इसके लिए उन्होंने ठेले का सहारा लिया।
लॉकडाउन के कारण परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में प्रवासी कामगार अपने-अपने काम की जगहों से पैदल ही घर जाने को निकले हैं और सैकड़ों किलोमीटर लंबी इस यात्रा के दौरान तमाम मुसीबतों का सामना कर रहे हैं।
तस्वीर में दिखाई देने वाला यह मजदूर परिवार रीवा मध्य प्रदेश के मऊगंज का रहने वाला है। वह अपने चार छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी के साथ 6 दिन पैदल चलकर दिल्ली से अपने घर पहुंचा है। वह दिल्ली में एक बिल्डर के पास मजदूरी करता था। लेकिन काम बंद हो जाने के बाद वो अपने घर आ गया।
तस्वीर में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि कैसे लॉकडाउन होने के बाद लोग अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं। यह तस्वीर गाजियाबाद की बताई जाती है। मजदूरों के सिर से छत छिन जाने के बाद वह कोरोना की दहशत में एक पुलिया को अपना घर बनाए हुए हैं।
यह तस्वीर ग्रेटर नोएडा की बताई जाती है। तस्वीर में दिखाई देने वाली यह महिला अपने बेटे के साथ डरी-सहमी हुए सड़क किनारे बैठे रो रही थी। उसके साथ वाले उसको छोड़कर कहीं और जा चुके थे।